सप्रेजी तत्कालीन मध्य प्रांत के एक विशिष्ट नायक थे जिन्होंने राष्ट्र सेवा की शुरूआत साहित्य और पत्रकारिता से की थी और फिर वे राजनीति में भी सक्रिय हुए थे। शायद सक्रिय राजनीति सप्रेजी जैसे स्वतंत्रचेता व्यक्ति के लिए उपयुक्त जगह नहीं थी इसीलिए सप्रेजी पुनः साहित्य और पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्र की राजनीति को दिशा देने में संलग्न रहे थे।