May 11, 2024

समीक्षा

विजय बहादुर सिंह की पुस्तक,’जातीय अस्मिता के प्रश्न और जयशंकर प्रसाद’पर चर्चा।

पिछले तीस जून को मुक्तिबोध साहित्यिक मंच, इलाहाबाद ने वरिष्ठ आलोचक विजय बहादुर सिंह की अभी हाल ही में प्रकाशित...

आवेग और आक्रोश से उपजी कविताओं की मुखर अभिव्यक्ति है- “ जब भी मिलना”

कोरोना काल में पढ़ी गई कुछ किताबें जो भीतर मंथन पैदा करती है उनमें फ़िनलैण्ड की कवयित्री मैर्ता तिक्कानेन की...

समीक्षा : आदरणीया भाभी जी शिरोमणी माथुर की बहुआयामी कृति अर्पण की

समीक्षक : किशोर " संगदिल-परबुधिया " हस्ताक्षर साहित्य समिति, दल्ली राजहरा. यूं तो किसी भी रचना की समीक्षा करना चाहे...

कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न की घटनाएं सभ्य समाज के लिए कलंक, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में वेबिनार

कार्य स्थल पर कामकाजी महिलाओं की स्थिति और यौन उत्पीडन की घटनाएं आज भी सभ्य समाज में जारी है और...

श्रीप्रकाश शुक्ल की ‘हजारीप्रसाद द्विवेदी : एक जागतिक आचार्य’ पुस्तक का प्रकाशन

हिंदी भाषा और साहित्य के पठन-पाठन एवं शोध के क्षेत्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ऐतिहासिक भूमिका...

समीक्षा : मुस्कान के साथ सोचने को विवश करती “ये दुनिया वाले पूछेंगे”

सर्वप्रथम “ये दुनिया वाले पूछेंगे” व्यंग्य संग्रह हेतु डॉ. प्रदीप उपाध्यायजी को बहुत-बहुत बधाई, शुभकामनाएँ. इस पुस्तक का प्रकाशन सर्वप्रिय...