आज की लघुकथा : वापसी का टिकिट
बरसों-बरस बाद मेरा दिल्ली जाना हो रहा है. मैं अपनी मर्जी से वहाँ नहीं जा रहा हूँ, बल्कि पिताजी के...
बरसों-बरस बाद मेरा दिल्ली जाना हो रहा है. मैं अपनी मर्जी से वहाँ नहीं जा रहा हूँ, बल्कि पिताजी के...
एक घाव एक झिन रद्दा रेंगइया मनखे हर जंगल कोती ले जावत रिहिस। जेठ के महिना रिहिस। घाम हर मुड़ी...
डोली शाह फिरंगी लाल की कपड़े की छोटी-मोटी दुकान थी। लेकिन ग्राहकों की हर पसंद वहां मौजूद थी ।उसी दुकान...
नशा नाश की जड़ है, सुन लो प्यारे बात हमारी, ये चक्कर घनचक्कर है। नशा नाश की जड़ है ।...
डोली शाह आज लंबे अरसे बाद मैंने रोहित को फोन किया।। इधर उधर की कुछ बातें कर मैंने ही पूछ...
कहता है जब कोई, तुम्हें गुस्सा क्यों नहीं आता तुमसे न क्यों नहीं बोला जाता क्यों सबको अच्छा समझती हो...
बहुत खुश थे श्यामलाल जी आज . उनके जीवन का सबसे बडा सपना पुरा जो हुआ था. स्कुल से आते...
मृदुला गर्ग की कहानियों में परिवार कई रूपों में प्रकट होता है । जहाँ कई कहानियों में हम उसे सिर्फ़...