जानवर / एनिमल के बहाने
दबंग फ़िल्म का एक बहुत ही चर्चित डायलॉग है "प्यार से दे रहा हूँ रख लो, थप्पड़ मारकर भी दे...
दबंग फ़िल्म का एक बहुत ही चर्चित डायलॉग है "प्यार से दे रहा हूँ रख लो, थप्पड़ मारकर भी दे...
मैंने पीड़ा को रोपा और बहुत ध्यान से देखा उसे बढ़ते हुए जब देखा , तो लगा मेरे सबसे करीब...
है शरद ऋतु का आगमन , फूलों की छटा है मनभावन।। नर्म धूप तन-मन को भाये, जैसे हो कोई अपनापन।।...
अधूरेपन के बीच से चला जाऊँगा अपूर्ण कविता की तरह रह जाना चाहता हूँ उसकी संभावना में मुरझाने से पहले...
इक दिन हम सब लोग, मिलेंगे मिट्टी में । लेकिन मिलकर हमीं, खिलेंगे मिट्टी में ।। मिट्टी है अनमोल, इसे...
मैं लिखना चाहता हूँ एक अच्छी प्रेम कविता पर आड़े आ जाता है तुम्हारा प्रेम तुम्हारा प्रेम यानी कि जो...
वीरेन्द्र ' सरल ' ठहाकों के शहंशाह लेख का यह शीर्षक पढ़ने से शायद आपको यह लगे कि किसी कॉमेडी...