नोहर होगे उन्हारी- सार छंद
भर्री भाँठा खार भँठागे, घटके कती उन्हारी। चना गहूँ सरसो अरसी के, चक हे ना रखवारी।। पहली जम्मों गांव गांव...
भर्री भाँठा खार भँठागे, घटके कती उन्हारी। चना गहूँ सरसो अरसी के, चक हे ना रखवारी।। पहली जम्मों गांव गांव...
वश में कर सके, है बस में किस के ये बंधन - डोर तुमने ही बांधे कस के सांसों की...
- रज़िया सज्जाद ज़हीर प्रगतिशील लेखक संघ के संस्थापक सज्जाद जहीर को तो पूरी दुनिया जानती है लेकिन उनकी अफसाना...
हमन जब कभू छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक मंच के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत के जागरण अउ गौरवशाली रूप के बात करथन त...
एक छोटे-से बच्चे ने मूँद ली हैं आँखें सब्जी-भाजी और ऐसे ही कुछ नापसंद स्वाद की तरफ़ से जिन्हें माँ...
समकालीन कविता में गहरी दिलचस्पी रखनेवाले श्रीनारायण समीर एक प्रबुद्ध आलोचक हैं। उन्होंने नक्सल बाड़ी आंदोलन और आठवें दशक की...
बनारस में दो रातें बीत चुकी थीं फिर भी बेचैनी भीतर थी. घाटों में पैदल से लेकर नाव तक मस्ती...
(अट्ठाइसवीं पुण्यतिथि पर स्मरणांजलि) केदार यादव का जन्म दुर्ग में 06 जून 1952 हो हुआ था। उनके दादा बाँस गीत...
शबरी के बेर बोले, तुम देर ना लगाना । हे राम... जल्दी आना ! हे राम... जल्दी आना !! पलकों...
वेरियर एल्विन भारतीय मानवशास्त्र में एक चर्चित नाम हैं। उनका अध्ययन क्षेत्र मुख्यतः मध्य भारत के जनजातीय क्षेत्र रहा है।...