September 20, 2024

मोड़ ऐसा भी मोहब्बत में कभी आएगा
दिल में रहता है जो वो दिल से उतर जाएगा

यूँ तो हर ज़ख़्म मिरा सूख चुका है लेकिन
याद के अब्र जो बरसे तो उभर आएगा

साथ रह जाएँगे यादों के नुकीले काँटे
मौसम-ए-वस्ल तो लम्हों में गुज़र जाएगा

खिल कभी पाएगी क्या दिल की कली दोबारा
क्या ये सहरा कभी गुलशन में बदल पाएगा

हम हमेशा की तरह उस का यक़ीं कर लेंगे
वो हमेशा की तरह हम से मुकर जाएगा

~सपना जैन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *