September 20, 2024

यह कौन है / परमेन्द्र सिंह

यह कौन है जो चला आता है मेरे साथ सदियों से
जो न अतीत है, न वर्तमान और न भविष्य
जो परम्परा की तरह चला आता है, उसी का निषेध करता

जो न मि़त्र है, न शत्रु
जिसके हाथ में न पत्थर है, न फूल

मेरे होने की वकालत और न होने की पड़ताल करता
मेरी भाषा को बेजुबान करता और मुखर बनाता
यह कौन है

निशा के मधुर स्वप्न-सरीखा सिरहाने रखा
और दिन-रात पसलियों को कुरेदता यह कौन है

मधुर चुम्बनों की थरथराहट लिये
और समुद्र का खारापन लिये यह कौन है

कभी सरे-आम उघाड़ता और
कभी नेपथ्य में खींचता यह कौन है ?

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