September 20, 2024

कितनी हवा थी !
जहां कुछ भी नहीं था
वहां भी हवा थी

दौड़ती भागती
हांफती नाचती
धूल फांकती
चलती थमती
क्या कुछ ना करती
हर खाली जगह को भरने
आ टपकती हवा थी

ज़रूरी था
भरा जाना ख़ाली जगहों का
इसीलिए हवा थी

मन ख़ाली है एक अरसे से
मैं हवा हो जाना चाहती हूं ।।

~गुंजन
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