साहित्य
शरद ऋतु…..!
है शरद ऋतु का आगमन , फूलों की छटा है मनभावन।। नर्म धूप तन-मन को भाये, जैसे हो कोई अपनापन।।...
अधूरेपन के बीच से चला जाऊँगा
अधूरेपन के बीच से चला जाऊँगा अपूर्ण कविता की तरह रह जाना चाहता हूँ उसकी संभावना में मुरझाने से पहले...
मिट्टी दिवस पर एक नवगीत
इक दिन हम सब लोग, मिलेंगे मिट्टी में । लेकिन मिलकर हमीं, खिलेंगे मिट्टी में ।। मिट्टी है अनमोल, इसे...
प्रेम कविता
मैं लिखना चाहता हूँ एक अच्छी प्रेम कविता पर आड़े आ जाता है तुम्हारा प्रेम तुम्हारा प्रेम यानी कि जो...
ठहाकों के शहंशाह- “स्मृति शेष संत, कवि पवन दीवान”
वीरेन्द्र ' सरल ' ठहाकों के शहंशाह लेख का यह शीर्षक पढ़ने से शायद आपको यह लगे कि किसी कॉमेडी...
सब उम्मीदें टूट गई तो
सब उम्मीदें टूट गई तो आशाऐं भी रूठ गई तो दुख ने आकर घेर लिया था सबने ही मुँह फेर...
कविताएँ लिखनी चाहिए
जैसा कि एक कवि कहता है कि मातृभाषा में ही लिखी जा सकती है कविता तो मातृभाषा को याद रखने...