May 20, 2024

हिंदकी – कबाड़ी है

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जौहरी की जगह कबाड़ी है
नासमझ धूर्त है , अनाड़ी है

बातें करता है रोज़ सागर की
झाँककर देखिएगा हाँड़ी है

लोभ देता है छाँव देने की
पेड़ का भ्रम है,सिर्फ़ झाड़ी है

तीली होता हवन के कामाता
कुछ नहीं है वो एक काड़ी है

शान से बैठता है अब जिसपर
ठुक चुकी है, पुरानी गाड़ी है

लोग पर्वत जिसे समझते हैं
लुत्प होती हुई पहाड़ी है

एक दिन हम सभी को जाना है
काल के हाथों में सुपाड़ी है

हाँड़ी – मिट्टी का घड़ा

डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
क्वार्टर नं.एएस-14,पॉवरसिटी
अयोध्यापुरी,जमनीपाली
जिला-कोरबा (छ.ग.)495450
मो.7974850694
9424141875

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