April 27, 2024

लक्खू, राम-भजन कब होई?
हाथ-गोड़ अब सिकुड़न लागे,
कठिन वक्त है आगे,
माया ठगनी के चक्कर में,
फिरो न भागे-भागे।
राम नाम की फसल काट लो,
तीन लोक में बोई,
लक्खू, राम-भजन कब होई?

कौन सगा है, कौन पराया,
अब तक जान न पाए,
उनको कहते हो तुम अपना,
जिनसे गच्चा खाए।
भ्रम में जीकर तुमने जग में,
पाप गठरिया ढोई,
लक्खू, राम-भजन कब होई?

किसके पिता, पितामह किसके,
तुम हो फूफा, मामा,
रटी न जिभिया कभी प्रेम से,
सुंदर रामा-रामा।
बोलो तुम किसके साले हो,
किसके हो बहनोई,
लक्खू, राम-भजन कब होई?

अपने मन को करो अयोध्या,
प्रभु को हृदय बसाओ,
ध्यान उन्हीं के श्री चरणों में,
हर पल ‘राज’ लगाओ।
किस्मत जागेगी निश्चय ही,
जो है अब तक सोई,
लक्खू, राम-भजन कब होई?
-राजकुमार धर द्विवेदी

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