November 14, 2024

अभी-अभी मैंने
हरसिंगार को खिलखिलाते देखा

अभी-अभी मैंने
एक नदी को अठखेलियाँ करते हुए
समंदर की ओर बहकर जाते देखा

अभी-अभी मैंने
मेरी टेबल पर रखी किताब के पन्नों को
हवा से फड़फड़ाते देखा

अभी-अभी मैंने खुली खिड़की से
ढेर सारी तितलियों को उड़ कर
अंदर आते देखा

अभी-अभी मेरी तुमसे
फोन पर बात हुई

अभी-अभी मैंने
अपने लबों पर ज़िंदगी को
मुस्कराते देखा!!

– अनिला राखेचा

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