April 27, 2024

नसीब वाली हूँ जो तेरा इंतख़ाब हूं मैं ,
तेरी नज़र में महकता हुआ गुलाब हूं मैं l

ज़रा -ज़रा सा सही रोज़ पढ़ लिया कर तू ,
हसीन ख़्वाबों की तेरी ही तो किताब हूँ मैं l

तेरी निगाह किसी सिम्त टिक गई है क्यों,
इधर तो देख ज़रा आज बेनकाब हूँ मैं l

ज़माना अपना भला इम्तिहान क्या लेगा ,
मेरा सवाल है तू और तेरा जवाब हूँ मैं l

मुझे भुला न सकेगा कोई क़यामत तक,
” निशा” वो प्यार की दुनिया का इंक़लाब हूँ मैं l

इस तरफ भी ज़रा नज़र करना ,
कोई तोहमत हमारे सर करना l

अब दुआ देने वाली माँ भी नहीं’,
तुम संभलकर ज़रा सफर करना l

ये भी पहचान है मुहब्बत की ,
अपने दिलबर के दिल मे घर करना l

देखने वाले रश्क फरमाए ,
ज़िंदगी इस तरह बसर करना l

लोग शक की निगाह से देखें ,
खुदको इतना न मोतबर करना l

तुम न हरगिज़ मेरी तरह से “निशा”,
रातभर जागकर सहर करना l

डॉ नसीमा निशा
वाराणसी
मो.8317067080

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *