पानी चुप है
दुनिया भर में आग लगी है, पानी चुप है। मुँह पर पट्टी बाँधे हैं ये सारी झीलें झरनों के हाथों...
दुनिया भर में आग लगी है, पानी चुप है। मुँह पर पट्टी बाँधे हैं ये सारी झीलें झरनों के हाथों...
बाँके सैंया अपने गोरे तन पे यूँ इतराते नंद जिठानी सँग मिलकर हम पर ताने बरसाते हमरे जियरा की काहू...
फलक़ पर मुस्कुराती बिजलियाँ कुछ और कहती हैं ज़मी पर लड़खड़ाती कश्तियाँ कुछ और कहती हैं बया करते हैं दरवाज़े...
मनुष्य गिर जाता है भाषा अकेली नहीं गिरती उसके साथ गिर जाती है मनुष्यता की समूची विरासत कहते हैं कवि...
शहर के उस ओर खंडहर की तरफ़ परित्यक्त सूनी बावड़ी के भीतरी ठण्डे अंधेरे में बसी गहराइयाँ जल की... सीढ़ियाँ...
मेरे लिये कमीज के बटन का टूटना भी कविता का विषय है टूटते नक्षत्रों को नहीं कर सकता अनदेखा ये...
एक धंधेबाज नकली कवि ने असली कवि से कहा.. मेरे पास बड़े बड़े मंच हैं हजारों की भीड़़ है.. भीड़़...