चन्द्र शेखर आजाद – एक दृढ़ संकल्प क्रांतिकारी
क्रांति का सुलगता गीत थे तुम
स्वातंत्र-समरांग के संगीत थे तुम
तेजाब बनकर आंख में अंगार के शोले जगाए
दुश्मनों के ऊपर भारी भरकम जीत थे तुम
घात-प्रतिघात पर ललकार थे तुम
दम्भ-पाखंड ध्वंसक धार थे तुम
इंकलाब की आग में होली जलाई
पुण्यात्मा सौभाग्य के अवतार थे तुम
शत-शत नमन है इन्हें जो कुर्बान तिरंगे की आन पर
श्रद्धा-सुमन दिल से समर्पित मिट गए जो शान पर
देश इनका चिर् ऋणी कीमत चुका सकता नहीं
सर झुकता है सभी का हे आजाद ! तेरे मान पर
बुलबुले सी जिंदगी जी कर क्या करोगे ?
चित्तड़े सी जिंदगी जी कर क्या करोगे ?
क्या करोगे चादराॅं जो बदन ढ़पें नहीं
झलामा जिंदगी अमि पीकर क्या करोगे ?
‘स्व’ की निजता से अनजान हो गए
त्याग-समर्पण की पहचान हो गए
थी सोच उनकी ऐसी ना मन में थी झिझक
देश की अस्मिता पर कुर्बान हो गए
सच्चे सिपाही देश के , है सिद्ध कर दिया
झुकना नहीं , है मरना , है सिद्ध कर दिया
घायल हुए थे फिर भी दहशत फैला दिया
बस एक गोली काफी , है सिद्ध कर दिया
ठहरे पानी में हलचल मचा देते थे
वसूलों की खातिर कदम टिका देते थे
धीर-वीर-गंभीर साहस के पुण्ज उत्तम
मतवाले हिंद के , अरि छक्के छुड़ा देते थे
23 जुलाई का दिन त्यौहार का दिन है
स्वाभिमानी आजाद के अवदान का दिन है
आओ आज हम भी संकल्प यही ले लें
हम देश के लिए हैं ये अभिमान का दिन है
जो शहीद हो गये वतन पर उनके यश की ध्वजा उठाऊॅं
आंसू शोकाकुल आंखों से पोंछूं दुख में उनका साथ निभाऊॅं
साथ चलूं नफरत को धोने दिल में प्रेम के दीप जलाऊॅं
हे ईश्वर शक्ति दें मुझको देश की खातिर शीश चढ़ाऊॅं
आजाद जयंती पर सभी को ढ़ेरों बधाइयाॅं व शुभकामनाएॕं जय-जय !
ज्ञानेन्द्र पाण्डेय “अवधी -मधुरस” अमेठी
8707689016