21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विशेष : योग-गीत
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें
आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
आन की है, शान की है,
बात बस कल्याण की है,
यम, नियम और ध्यान की है,
बात प्राणायाम की है,
रोग के वियोग से आओ जरा का अस्त कर लें।
आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें ।।(1)
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें
आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
श्वास की, निःश्वास की है,
बात बस विश्वास की है,
चेतना, अवचेतना,
आसनों, अभ्यास की है,
योग के प्रयोग से आओ काया अभ्यस्त कर लें।
आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें ।।(2)
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
प्यार की, आहार की है,
बात बस व्यवहार की है,
रूप, रस और गन्ध की है,
बात प्रत्याहार की है,
योग के उपयोग से अन्तःकरण को स्वच्छ कर लें।
आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें ।।(3)
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
आओ धरा को स्वस्थ कर लें।
हास की, उल्लास की है,
बात बस इतिहास की है,
साधना, उपासना,
आत्मिक विकास की है,
योग के सहयोग से स्वचित्त समाधिस्थ कर लें।
आओ धरा को स्वस्थ करलें।
योग के संयोग से आओ धरा को स्वस्थ कर लें ।।(4)
रचना- डॉ. शुभ्रता मिश्रा