बुढ़वा
अंडा कस महतारी हर सेवत हे
छाती ले चिपका के
साँसे म सेवत हे
बुढ़वा, बचपन ल खोजत हे
दाई के अंचरा ल खोजत हे
मर जाही बुढ़वा
ऐसो के जाड़ म
मरे के पहिली
खोजत हे नान नान हाथ
नान नान पांव
नान नान आँखी
नान चुक नाक
पातर पातर होंठ
पियेबर
महतारी के छाती ल
खोझत हे
एहीं अंगना
एही खोर खेले बर खोजत हे
बुढ़वा देखा अपन चोला ल छोड़त हे
नइ बांचय बुढ़वा एसों के जाड़ म
समाए हे पीरा , हाड़ हाड़ म
बसन्त राघव
पंचवटी नगर, बोईरदादर, रायगढ़
छत्तीसगढ़, म़ो.नं.8319939396