अब जाग रहे हैं…
मीठे भ्रमित राहों से
जकड़े हुये बाहों से
दूर जल्दी भाग रहे हैं
अच्छा है कि जाग रहे हैं।
सच जो दबा दिया था
लाभ हित का सदा लिया था
उन झूठों को नाप रहे हैं
अच्छा है कि जाग रहे हैं।
माँ भारती के दुश्मन
जिनसे दुखी सनातन
उन दोगलों को दाग रहे हैं
अच्छा है कि जाग रहे हैं।
मौलिक ,अप्रकाशित
जपेश कुमार प्रधान
ग्राम -बड़ेलोरम,पोस्ट -परसवानी
जिला -महासमुंद(छत्तीसगढ़)
मो.नं-8319275723