वो चेहरा
विधा : कविता
परिचय-नीतू कुमारी पुत्री -मनीराम जी
मु.पो.-कसेरू जिला -झुंझुनूं (राज.)
खुद से ही अंजान फिरती है
है किसी की तलाश उसे
हँसता-खिलता चेहरा है
न समझ सका कोई उसे।।
देखा है मैंने उसके मन को
निश्छल सी है भावनाएँ उसकी
सादगी भरा है जीवन उसका
न मन में क्रोध का भाव है।।
वो है कितनी नादान – सी
नैनों में लिए स्वप्न कई
घूमती है भटकती -सी
है आस उसे उङ जाने की
पर बँधी है जिम्मेदारियों से।।
जीवन है उसका निरस -सा
फिर भी चेहरे पर मुस्कान है
सीखा है मैंने उससे बहुत
हैं कला उसे सबको हँसाने की।।
शीर्षक – गीत लिखती जाती कोई!
हँसती-सी पहचानी-सी,
नजर छिपाती है कोई।
गम के सागर में डूबकी
लियें फिरती है कोई।
बंद द्वार जीवन के अभी,
फिरती आश लिये कोई।
चुप है होठ, वाचाल मन
सिसकती मौन हो कोई।
डगर नियंता परख रहा
ठोकर खाती जाती कोई।
आँसुओं के सैलाब से नित
गीत लिखती जाती कोई।
थके मन के सहारे गुजरें,
गुजारें कई जमानें कोई।
अनसुनी अनदेखी कर उसे
चला जाता उसे हर कोई।
बेदर्दी पीड़ा के सन्नाटे से
गुजर जाती नित्य कोई।
मुख पर हँसी बिखेरी
फिर छुप जाती है कोई।