कोरोना रूपी ये अंधियारा शीघ्र भाग ही जायेगा
चारों ओर सन्नाटा पसरा और अंधियारी छाई है,
क्रूर कोरोना ने मेरे भैया अपनी धूम मचाई है ।
और उग्र हो गया कोरोना, और तबाही लाएगा ,
कोरोना रूपी ये अंधियारा शीघ्र भाग ही जायेगा ।।1।।
गली मोहल्ले ऐसे सुने ,जैसे राक्षस कोई आया
मास्क लगा झांक रहे सब हवा में वायरस छाया ।
जाने कितने मृत हो गए ,और कितनो को खायेगा ।
कोरोना रूपी ये अंधियारा शीघ्र भाग ही जायेगा।।2।।
साथ मे ओमीक्रान घूम रहा बच कर इससे रहना ,
नए वर्ष का है नया वायरस हम सबका है कहना।
हम सब जागरूक बनेगें ये मात ही खायेगा ।
कोरोना रूपी ये अंधियारा शीघ्र भाग ही जायेगा।।3।।
मनुष्य बहुत ही उलझ रहा व्हाट्सएप के मैसेज से,,
सही बस उसकी मानो जो निकले डॉक्टर के मुंह से ।
सरकार के साथ चलेगें हम तभी हार ये पायेगा ,
कोरोना रूपी ये अंधियारा शीघ्र भाग ही जायेगा ।।4।।
मास्क ग्लब्स और सेनेटाइजर का प्रयोग करेंगे हम,
सभी वैक्सीन लगवाएंगे फिर काहे का गम ।
बहुत तबाही ला दी तूने अब मार ही खायेगा ,
कोरोना रूपी ये अंधियारा शीघ्र भाग ही जायेगा ।।5 ।।
प्रस्तुत कविता मेरी मौलिक रचना है ।
. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
शैक्षिक योग्यता – एमएससी बीएड ,पीएचडी
राव गंज कालपी ,जालौन
उत्तर प्रदेश पिन 285204
मोबाइल नंबर945131813
ईमेल om_saksham@rediffmail.com
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परिचय
नाम-डॉ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
पिता का नाम-श्री बनवारी लाल श्रीवास्तव
शिक्षा -एमएससी ,बीएड, पीएचडी
लेखन विधा- कैरियर आलेख ,बाल साहित्य
सम्प्रति- शासकीय शिक्षक
अन्य -स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन