छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष ने राजनीति के वर्तमान संदर्भ में महत्वपूर्ण माने जाने वाले सटीक शुकनासोपदेश का किया विमोचन
रायपुर। संस्कृत और हिंदी के विद्वान लेखक-आचार्य डॉ महेश चंद्र शर्मा की पुस्तक सटीक शुकनासोपदेश का विमोचन छत्तीसगढ़ गो सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ महंत रामसुंदर दास ने किया और कहा कि
राजनीति और प्रशासन के वर्तमान संदर्भ में यह पुस्तक अत्यंत महत्वपूर्ण है।
समारोह की अध्यक्षता हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने की। प्रारंभ में संचालन करते हुए अतिथियों का परिचय डॉ सुधीर शर्मा ने बताया कि यह पुस्तक महाविद्यालयीन पाठ्यक्रम में भी शामिल है। लेखक डॉ महेश चंद्र शर्मा ने पुस्तक के लेखन
पर अपने अनुभव बताए और कहा कि बाणभट्ट के समय की राजनीति और प्रशासन में जो शुचिता थी वह राजकुमारों को विद्वान ऋषियों तथा महामंत्रियों के द्वारा दिए नीति उपदेशों के कारण थी। संस्कृत के प्राध्यापक और
समीक्षक डॉ सत्येंदु शर्मा ने पुस्तक की विस्तृत समीक्षा की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित महात्मा गांधी
अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व प्रोफेसर डॉ शंभू गुप्त ने कहा कि हमारे प्राचीन शास्त्रों में न केवल आदर्श जीवन का प्रबंधन है अपितु तत्कालीन समय की राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्रशासन का भी सुव्यवस्थित
चित्रण है। मुख्य अतिथि डॉ महंत रामसुंदर दास ने अपने विस्तृत संबोधन में धर्म, राजनीति, दर्शन और संस्कृति के संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि लेखक डॉ महेश चंद्र शर्मा देश-विदेश में अपने लेखन तथा अध्ययन-अनुसंधान के लिए लोकप्रिय हैं। वे एक कुशल अनुवादक और
व्याख्याकार भी हैं। इस महत्वपूर्ण पुस्तक में विद्यार्थियों को यह ज्ञात होता है कि लक्ष्मी की चंचलता और सरस्वती की गंभीरता का क्या रहस्य है। समारोह की अध्यक्षता करते
हुए कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने कहा कि विज्ञान के विद्यार्थियों को भी संस्कृत के ग्रंथों से व्यावहारिक जीवन के रहस्यों का पता चलता है। वे अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक होते हैं। आधुनिक काल में प्रबंधन ही सर्वोपरि है।
इस पुस्तक में हिंदी के विद्वान आचार्य बालचंद्र कछवाहा ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह में अमरनाथ त्यागी, सुनील जायसवाल, गोपाल सोलंकी, तेजपाल सोनी, श्रीमी गौरी रजनी, बेबी निक्की और दूधाधारी मठ के अनेक संस्कृत
विद्यार्थी उपस्थित थे।