November 21, 2024

लड़की बिछड़ने के दस साल बाद लड़के के शहर में आई है ! जब दोनों साथ थे तब कहा करते थे ” हम दोनों मिलकर एक म्यूजिक बैंड बनायेंगे , साथ में गाने कम्पोज़ करेंगे और साथ में गायेंगे ” । दोनों को प्रेम कवितायें पसंद थीं और जब लड़का उन कविताओं को लड़की को सुनाता ,लड़की प्रेम में गले गले तक डूब जाती ।
” मैं तुम्हें ज़िन्दगी भर कवितायें सुनाऊंगा । ”
” रोज़ डिनर के बाद मीठे में कविता का एक टुकड़ा .. अच्छा आइडिया है ”

आज लड़की कॉलेज में जूलोज़ी की प्रोफ़ेसर है और लड़का बैंकर ! एक डोर के टूटते ही सात स्वर भी छन्न से बिखर गए !

लड़के को मालूम हुआ है कि लड़की इसी शहर में है और उसने फोन करके लड़की को घर आने का निमंत्रण दे डाला है ! लड़की एक बार में मान गयी है !

लड़की लड़के के घर उससे मिलने आई है ! लड़का बेचैन है , ठीक वैसे ही जैसे दस साल पहले हुआ करता था ! लड़की सहज है .. मानो कभी कुछ था ही नहीं !
“कैसे हो ?”
“अच्छा हूँ”
“और तुम ?”
“एकदम बढ़िया ”
” तुम्हारी पत्नी .. ? ”
” आज टूर पर बाहर गयी है ..देर रात लौटेगी ”
” ओह .. और बेटा ?”
” आता होगा खेलकर ”
“तुम्हारे पति ..?”
” वो भी प्रोफ़ेसर हैं ..एक बेटी है ! ”

बस ठंडा ,संक्षिप्त ,औपचारिक वार्तालाप ! लड़का लड़की की आँखों में गहरे झांककर देखता है। लड़की आँखें नीची कर लेती है। लड़का बस ये जानना चाहता है कि क्या आज भी वह उससे प्रेम करती है ? लड़का यह भी बताना चाहता है कि वह एक पल को भी उसे नहीं भूला ! मगर एक ऐसे पुल के दो किनारों पर दोनों खड़े हैं जो पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है ! अब पार करना कैसे भी संभव नहीं !

लड़का अचानक तेज़ी से उठकर अन्दर गया है ! उसे तेज़ रुलाई आई है !

लड़की की नज़रें अब कमरे में घूम रही हैं ! एक टेबल पर काले रंग का लम्बी पूंछ वाला बन्दर रखा हुआ है ! लड़की ने गौर से देखा ” अरे , ये तो बिल्लू है ”
बिल्लू लड़की ने उसे गिफ्ट किया था यह कहते हुए ” एक बन्दर के लिए उसका भाई लेकर आई हूँ ” और बड़ी देर तक हँसते रहे थे दोनों !

लड़का बाहर आ चुका है ! उसका नन्हा बेटा लड़की की गोद में बैठा हुआ है ! थोड़ी देर बाद बेटा अन्दर भाग गया है ! लड़के के चेहरे पर एक सवाल है !
” एक बात पूछूं तुमसे ? ”
” ना .. कुछ मत पूछो ” लड़की ने सवाल को होंठों पर आने से पहले ही मसल दिया है !

एक लम्बी खामोशी के बाद लड़की उठने लगी है ! जाते जाते पीछे पलटकर कहा है
” जवाब पूछने से नहीं मिलते , वो तो हमेशा मौजूद रहते हैं हमारे इर्द गिर्द ! बस हम उनको देखते नहीं हैं ”

लड़की जा चुकी है ! लड़का बेहद उदास बैठा है ! तभी नन्हे बेटे की आवाज़ आई है
” पापा .. उन आंटी को भी बिल्लू बहुत अच्छा लगा ! उन्होंने उसे ज़ोर से गले भी लगाया ”

लड़का चौंक गया है ! तभी एक पेज मेज पर फड़फड़ाया है !
लड़का उसे खोलता है । ज्ञानेन्द्रपति की कविता ‘ ट्राम में एक याद’ उसकी जानी पहचानी राइटिंग में लिखी हुई । चन्द पंक्तियां हाइलाइट की हुई…

” इस महावन में फिर भी एक गोरैया की जगह खाली है
एक छोटी चिड़िया से एक नन्हीं पत्ती से सूनी डाली है
महानगर के महाट्टहास में एक हँसी कम है
विराट धक-धक में एक धड़कन कम है कोरस में एक कंठ कम है
तुम्हारे दो तलुवे जितनी जगह लेते हैं उतनी जगह खाली है ”

लड़के ने एक नज़र कमरे में बिखरे पड़े तमाम जवाबों पर डाली ! बिल्लू को जोर से भींच लिया और रुंधी आवाज़ में कविता पढ़ने लगा।

….पल्लवी

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