विश्वरंग-विज्ञान पर्व के तहत सर सीवी रामन विज्ञान कथा-कविता पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत कविता…..
7 नवंबर को रवींद्रनाथ टैगोर विवि भोपाल के शारदा हॉल में आयोजित विश्वरंग-विज्ञान पर्व के तहत सर सीवी रामन विज्ञान कथा-कविता पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत कविता…..
क्वाण्टम प्रेम
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यदि सबकुछ संभव होता
तो हमारा ब्रह्माण्ड
भौतिकी की कुछ तय संविधियों से
नहीं चल रहा होता–
न प्रकाश की रफ़्तार तय होती
न आइंस्टाइन का सापेक्षता का सिद्धांत–
कि किसी इकाई के द्रव्यमान को हम
प्रकाश की रफ़्तार के वर्ग से
गुणा करें, तो हम उस इकाई की कुल ऊर्जा
पा सकते हैं !
यद्यपि क्वाण्टम भौतिकी कहती है कि
इस ब्रह्माण्ड में असंभव कुछ भी नहीं और
क्वाण्टम दुनिया में टूट जाती हैं
बहुत-सी संविधियाँ !
लेकिन, क्वाण्टम भौतिकी भी तो
हमारे पूर्वज वैज्ञानिकों के सिद्धांतों का ही विस्तार है
और इसमें भी होंगी कुछ तयशुदा भौतिक संविधियाँ।
ये नियम हमारे ब्रह्माण्ड के
गर्भ से ही जन्म लेंगे !
वह कहती है–
प्रेम का क्षेत्र कोई भौतिक शास्त्र नहीं है
कि उसे नियमों में बाँधकर बाँचा जा सके–
प्रेम तो अंतर्मन के अनवगत आयामों में
विचरण करता है और
असंभव से संवाद करता है–
–बिल्कुल उसी तरह
जिस तरह
स्ट्रिंग पार्टिकल, ग्रैविटेशनल पार्टिकल और हिग्स बोसोन
ब्रह्माण्ड के परिकल्पित दस आयामों
में कहीं भी जा सकते हैं और
वे कर सकते हैं
असंभव को संभव !
जबकि, तुम कहते हो कि
प्रेम तो आकार लेता है हमारे ही अंतर्मन में
और हम इसी ब्रह्माण्ड की
विशिष्ट संतानें ही तो हैं !
आओ, प्रेम की दुनिया में
दो स्ट्रिंग कणों की तरह
और जाओ, प्रेम के सभी आयामों में,
प्रेम-यात्री बनकर–
–बँधो, एक-दूसरे से
जिस तरह स्ट्रिंग पार्टिकल
बँधे होते हैं एक-दूसरे से।
बोलो, प्यार की बातें
क्वाण्टम बोली में–
भले ही
एक-दूसरे से अरबों मील दूर !
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● नीरज मनजीत