हिन्दी की पिता पर केंद्रित एक कविता अंग्रेजी अनुवाद सहित
पिता का अस्तित्व
—उषा किरण,लब्धप्रतिष्ठ एवं ख्याति प्राप्त कवयित्री।पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।पटना, बिहार।
हर दिन उबड़खाबड़ पगडंडी पर
दौड़ती- भागती जिंदगी के
पसीने के गंध को मिटाती
सुहानी बयार की तरह
होता पिता का अस्तित्व
बारिश के बाद
धुला नीलाभ आसमान से
और फूलों के झुरमुट से
झांकते इंद्रधनुषी रंगों की तरह
होता पिता का अस्तित्व
रात भर ठिठुरते हुए
अलावों के आस- पास
सिमटे चेहरों पर सुबह की
स्वर्णिम किरणों की तरह
होता पिता का अस्तित्व
पहाड़ी ढलानों पर
हरे पेड़ के पत्ते पर
ठिठकी शबनम की बूंदों पर
चमकती धूप की तरह
होता पिता का अस्तित्व
सच, पिता ही तो होता
हमारे पहले परिचय का मूलाधार
वही तो वो महारथी
जिनकी छत्रछाया में
हम रहते हमेशा निरापद
तभी तो शाश्वत
होता पिता का अस्तित्व ।
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इसका अंग्रेजी में अनुवाद
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The Existence Of Father
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Everyday on the uneven by path
Removing the smell of perspiration
Of life running to and fro
Like the pleasant breeze
Is the existence of father
After rains
From the washed blue sky
And from the cluster of flowers
Like peeping rainbow-colours
Is the existence of father
Shivering all through the night
Gathering around the fire kindled
On the faces
Like the golden rays of the dawn
Is the existence of father
On the mountainous slopes
On the leaves of green trees
Halting drops of the dew
Like the shining sunlight
Is the existence of father
Really it is father who is
The basic source of our first identity
It is that great warrior
Under whoes shade
We are always secured
Then only is perpetual
The existence of father
— Usha Kiran
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Translated into English by—
जगदीश नलिन