मोहबंध
रंगों और रिश्तों के मोहबंध
हर रिश्ते के
अलग अलग रंग!
ताज़ा रंगी हवा में टंगी..
लहराती-फहराती सी
ओढ़नियों के रंग
बादलों को ललचा गए
सांझ घिरते ही
आसमां पर छा गए!
और…
साबुन के उन
पारदर्शी बुलबुलों पर उतर आए
जो चुलबुले बच्चे ने
फुँकनी से फूँके!
रंगों और रिश्तों के
मोह में बंधकर
बावरी हुई दुनियां,
पर हमने तो कभी भी
उन्हें तराज़ू पर नहीं तौला…
सच्ची में गुइयां!
~निर्मला सिंह