कश्तियां मझधार में हैं नाख़ुदा …
कश्तियां मझधार में हैं नाख़ुदा कोई नहीं
अपनी हिम्मत के अलावा आसरा कोई नहीं
शोहरतों ने उस बुलंदी पर हमें पहुंचा दिया
अब जहां से लौटने का रास्ता कोई नहीं
जी रहे हैं किस तरह अब लोग अपनी ज़िदगी
जैसे दुनिया में किसी से वास्ता कोई नहीं
मिलके अपने दोस्तों से ख़ुश बहुत होते हैं लोग
पर किसी के दिल के अंदर झांकता कोई नहीं
कुछ अधूरे ख़्वाब हमसे कर रहे हैं ये सवाल
क्या हक़ीक़त से हमारा राब्ता कोई नहीं
हर जगह हर रोज़ जिसको ढूंढते फिरते हैं लोग
वो ख़ुशी है दिल के अंदर ढूंढता कोई नहीं
#देवमणि_पांडेय
चित्र : सीनियर रेलवे इंस्टिट्यूट सांताक्रुज़ मुंबई में एकता दिवस के उपलक्ष्य में 27.10.2023 को आयोजित कविता पाठ की कुछ तस्वीरें। फोटो सौजन्य Saroj Suman