जीवेम् शरद :शतम्: – राग तेलंग
समकालीन हिंदी कविता के प्रमुख कवि और मेरे अभिन्न मित्र भाई राग तेलंग को हर साल मैं एक ही तरह से बधाई देने का आदी हूं,वे मेरा पुराना प्रेम हैं शायद इसीलिए | राग अपनी विलक्षण शैली और शिल्प की कविताओं के लिए जाने जाते हैं । उनकी कविताओं के अछूते विषय और ह्रदय में उतर जाने वाली भाषा से एक ऐसे संगीत-रस की निष्पत्ति होती है कि लगता ही नहीं यह शब्द की कविता है .ऐसी कविता का कवि जो अपने पाठक के भीतर शब्द का संगीत यूं प्रवाहित कराये कि उसके जादू से मुश्किल हो जाए मुक्त होना,आज अपनी रचनात्मकता से सराबोर जीवन यात्रा के 59 वें पड़ाव पर आ पहुंचा है .इस सफ़र में हासिल-ए-मुकाम के तौर पर उनके नौ कविता संग्रह और एक निबंध संग्रह है और बच्चों के लिए कुछ विशिष्ट किताबें और हाँ ढेर सारे रेखाचित्र तो हैं ही । इन दिनों राग साहित्यिक-सांस्कृतिक समीक्षक के रूप में सामने आए हैं जिसका दिल से स्वागत है ।
एपीजे अब्दुल कलाम सम्मान,प्रतिलिपि डॉट कॉम सम्मान,वागीश्वरी पुरस्कार,रज़ा पुरस्कार, दिव्य अलंकरण तथा भारत सरकार द्वारा विशिष्ट संचार सेवा पदक से विभूषित राग तेलंग के कविता संग्रह ,शब्द गुम हो जाने के ख़तरे, मिट्टी में नमी की तरह ,बाज़ार से बेदख़ल ,कहीं किसी जगह, कई चेहरों की एक आवाज़, ,कविता ही आदमी को बचाएगी, अंतर्यात्रा, मैं पानी बचाता हूँ ,स्कूल को बदल डालो और आई का कहा अभी तक प्रकाशित हुए है, समय की बात उनका निबंध संग्रह है, देश के लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएं प्रमुखता से प्रकाशित होती रही हैं । हमेशा की तरह अब वे सोशल मीडिया पर अपनी नई भूमिका में सामने आए हैं । चेहरों की किताब: किताब का चेहरा उनका कॉलम बेहद लोकप्रियता अर्जित कर चुका है। इसके तहत उन्होंने हमारी नर्मदा चेतना यात्रा पर फीचर किया था । उनके इस नए कदम के लिए हम मित्रों की शुभकामनाएं हैं | जीने का जज्बा और हौसला बनाए रखने का काम यह कॉलम इन दिनों कर रहा है ।
राग के साथ हमारी संगत तब की है जब उन्होंने कविताएँ लिखना शुरू किया ही था.उनके समग्र रचनात्मक और सर्विस-कैरियर की विकास-प्रक्रिया का मै साक्षी रहा हूँ,अक्सर वे इस विकास का श्रेय मुझे भी देते हैं,यह उनकी विनम्रता है जिसके हम कायल हैं. हम महसूस करते हैं कि आज भी उनमें वैसी ही ऊर्जा बरकरार है जैसी आज से 30-35 वर्ष पहले थी .समाजवादी सोच के सच्चे पहरुए और साहित्यिक दुराव से बराबर दूरी बनाए रखते हुए हमारे मुन्ना भैया यानी राग भाई आज अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं | विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों के महत्वपूर्ण सहभागी मित्र राग तेलंग को उनके जन्मदिन के अवसर पर लख–लख बधाइयाँ और मुझसे जुड़े उनके तमाम पाठकों की ओर से प्यार-शुभकामनाएं ।
इस अवसर पर मई 2013 में प्रकाशित उनके संग्रह “कविता ही आदमी को बचाएगी” की शीर्षक कविता प्रस्तुत है । ऐसा लगता है वर्ष 2013 में भविष्य को व्याख्यायित करती यह कविता जैसे कोरोना काल के लिए ही लिखी गई हो । पढ़कर कवि की दूरदृष्टि का भी पता चलता है ।
” कविता ही आदमी को बचाएगी “
एक दिन/पुराने लोगों की वजह से पैदा हुआ/नए जमाने का एक आदमी मर रहा होगा/खाट पर अकेला पड़ा हुआ / और उतने में/ उसके यकीन के किस्सों में से / कोई वैद्य प्रकट होगा और/ बिना नब्ज़ टटोले बता देगा कि/इस आदमी को तो अब कविता ही बचा सकती है /ऐसी कविता जो मर-मर कर लिखी गई हो/ जिसमें बचे रहने की कोशिशों की अंतिम आवाज़ें हों/वे ही रामबाण साबित हो सकती हैं //
अब सवाल यह आन खड़ा होता है/कहाँ है ऐसी कविता/ जो बचा सके किसी मरते हुए आदमी को/जिसमें कूट-कूट कर भरी हो बचाएगी जाने की आशाएं/जो बन सके संजीवनी बूटी //
आजकल की सारी प्रायोजित कविताएं तो/खुद कवि को मारती रही हैं सबसे पहले/ऐसी कविता भला क्या बचाएगी किसी को ?
जो कविता कवि की हत्या में शरीक नहीं हो सकी/उसी को हथियार बनाकर/ निंदकों ने कवि को मार दिया/तो अब बचा ही क्या ?
रही वह कविता जो समेटे थी अपने भीतर/ जीवन के अनंत स्वप्न/उसे रचने वाले गुमनाम कवि ने/कभी वैद्य होने के सपने खरीदे थे बचपन में/एक बार उसे सपना आया कि अचानक उसे बुलाया गया वैद्य समझकर/ किसी गली के किसी अनजान घर में/जहाँ नए जमाने का एक आदमी मर रहा था /खाट पर अकेला पड़ा हुआ/मरणासन्न आदमी के मुंह से / जो बोल फूट रहे थे / वे कवितानुमा थे/कुछ-कुछ उसकी कविताओं की तरह //
सार यह कि/ मरते हुए एक आदमी अगर एक कविता बोल सकता है/ तो एक कवि ही दावे के साथ/ वैद्य की जगह लेकर/ कह सकता है/अब आदमी को कविता ही बचा सकती है ।।
“मैं पानी बचाता हूँ” ,” स्कूल को बदल डालो ” जैसे अप्रतिम कविता संग्रहों के रचयिता- कवि मित्र को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं –
गोपाल राठी ,पिपरिया ,म.प्र.
@ राग तेलंग