वेलिडिटी उर्फ़ बिना रिचार्ज तुम जिंदगी में जारी नहीं रह पाओगे…
शीलकांत पाठक
मैं अच्छा खासा स्वस्थ था और शहर के बड़े-बड़े बहुप्रचारित सुपर स्पेश्यलिटी हास्पिटलों के विज्ञापनों की ओर से पूर्णत: निश्चिंत और लापरवाह भी था और क्रिकेट-खिलाडियों के करोड़ों के बहु-प्रचारित हाईएस्ट हेल्थ-इंश्योरेस के कम्पीटीटीव-समय में भी कानी-कौड़ी हेल्थ-इंश्योरेस के बिना भी अपने जिन्दा रहने के लिए भविष्य के किसी भी भारी-भरकम स्वास्थ्य के अस्वास्थ्यकर हॉस्पिटल के भारी-भरकम बिल से बिना डरे,बिना चिंतित हुए हंसते-मुस्कुराते जिंदगी जी रहा था | कई मरीज तो शायद इसी बिल की चिंता में स्वर्ग को सुखद समझ प्रस्थान कर जाते हैं| पर मैं लगभग उसी तरह निर्भय था जैसे शिव से जीवन का वरदान पा मार्कन्डेय ऋषि पृथ्वी-लोक में यमदूतों के किसी भी असमय, तूफानी और डराती हुई स्टंट-स्पीड से और उनकी अति फ्रीक्वेंट आवाजाही से बिलकुल बेफिक्र हो चुके थे | पर मेरी इस बेफिक्री को दुनिया की बुरी नजर लग ही गई और जाने क्यों साजिशन मुझे अपनी वेलिडिटी ख़त्म होने के कई-कई मेसेज लगातार आने-डराने लगे |
उस दिन मैं हमेशा की तरह अपने मौज में बिलकुल निष्फिक्र था कि मोबाइल से एक मेसेज आया कि आपकी वेलिडिटी ख़त्म हो रही है और आपकी सेवायें ख़त्म कर दी जाएँगी| मैंने अपने को टटोल कर देखा तो मैं तो एकदम सकुशल था और शीघ्र ही मेरे वेलिडिटी ख़त्म होकर उपर चले जाने की कोई संभावना भी नजर नहीं आ रही थी पर मेसेज तो सेवाएं ख़त्म करने की धमकी दे रहा था | इस दुनिया के संपर्क में रहने की मेरी समयावधि ख़त्म होने की धमकी दे रहा था | पहली बार मुझे अपनी साँसें कुछ रूकती हुई सी मालूम हुईं| भारत के एक स्वतन्त्र नागरिक को चुनी हुई सरकार के अलावा कोई अन्य भी इस तरह धमका सकता है ऐसा गैर-कानूनी अनुभव पहली बार हुआ | इस पहले लोकतान्त्रिक-हार्ट-अटेक से अभी उबर भी नहीं पाया था कि ब्राडबैंड इंटरनेट कंपनी की धमकी भी किसी बड़े भूकंप के दूसरे अटेक की तरह लगी-लगी आ गई कि आपकी वेलिडिटी ख़त्म हो गई है | तुरंत रिन्यू कराएँ | मतलब कि अब दुनिया से जोड़े रखने वाला गर्भनाल ही कट गया और मैं इस आठ अरब की विशाल दुनिया में बिलकुल अकेला संपर्क-विहीन,जीवित ही मृत-तुल्य रह गया | पर कहते है हिंदुस्तानियों की इम्युनिटी दुनिया में सबसे अच्छी होती है, कोराना( दूसरे लहर की बात नहीं ,पहले की है जिसका हम शान से अधिकृत विजय-उत्सव भी मना चुके हैं ) ने गिनीज बुक आफ वर्ल्ड-रिकार्ड में यह दर्ज करा दिया है | तो मैं मजबूत दिलवाले की तरह यह दूसरा भूकंपीय अटैक भी एक सच्चे राष्ट्र-भक्त की तरह चुपचाप ही सह गया |
इन लगातार असफलता और आक्रमण से आधा दिन तो हाथ से निकल चुका था ,मैंने सोचा –चलो समय का कुछ सदुपयोग कर लिया जावे, कुछ तो इस डिजिटल इंडिया में काम करने की सफलता हासिल कर ली जावे—चलो गैस सिलिंडर की बुकिंग ही कर लूँ | मैंने मोबाइल लगाया तो उधर से लगभग दुत्कारती हुई मधुर आवाज आई “ आप रजिस्टर्ड नहीं हैं , आपका अनुरोध मान्य नहीं है “ लीजिये हम जिन्दा हैं,बाकायदा सांस चल रही है पर इस मनहूस गैस कंपनी को हम मान्य नहीं हैं| इसने भी जीते-जी हमें अमान्य कर ही दिया | लगता है अमान्य करने की कोई ग्लोबल-पॉलिसी छुपे तौर पर अपने देश में षडयंत्र-पूर्वक काम कर रही है |
ठीक से याद नहीं पर “ कलियुग केवल धन-आधारा “ शायद कहीं पढ़ा था | तो हमें फिर से जिन्दा रहने के लिए ,दुनिया के संपर्क में रहने के लिए धन की आवश्यकता थी कि नेटबैंकिंग से ही ब्रह्मास्त्र-घाती फोन आ गया कि आपका “ के वाय सी “ अपडेट न होने से ट्रांजेक्शन मान्य नहीं किया जा सकता | लीजिये धन हमारा, निकालने का मन हमारा , जीवन हमारा , पर अमान्य कर रहा है कोई अमानतदार बैंक | क्या अमानत में खयानत इसी को कहते हैं | मुझे महसूस हुआ कि मेरे चारो तरफ हवा है,आक्सीजन है पर कोई बोलता है तुम सांस नहीं ले सकते—सांस लेने की वैध परमिशन हो तभी तुम्हें सांस मिलेगी | मैं इस आकाश,हवा,मिट्टी,पानी, का ईश्वर-पुत्र अब अवैध हो गया,अन-रजिस्टर्ड हो गया,अमान्य हो गया,अनवेलिड हो गया | मेरी जिंदगी की अमानत में यह खयानत हो गयी | बिना समय पर अमानत मिले मैं अब कैसे जारी रह पाऊँगा |और इस अमान्य प्रकरण का समापन मल्टी नेशनल इंश्योरेस कंपनी के जीवन-बीमा पॉलिसी( हेल्थ नहीं) के इस अंतिम सख्त-वार्निग से हुआ “ बिना अगली किश्त पटाये तुम किसी भी हाल में जारी रह नहीं पाओगे, यह अंतिम वार्निग है “ बहुत पहले किसी ने लिखा था “ किश्तों में जिन्दगी “ उस समय मुझे उसका मतलब समझ नहीं आया था पर आज पूरी तरह से समझ आ गया और अच्छे से समझ आ गया कि बार-बार चार्ज कराओ---यह जिंदगी यदि जीना है तो | दुनिया में अपनी जिंदगी की वेलिडिटी मान्य होने के लिए सांस वाली जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण अब यह रिचार्ज वाली जिंदगी हो गई है |