कोरोना महामारी के नियंत्रण एवं जागरूकता में विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं की भूमिका महत्वपूर्ण- राज्यपाल सुश्री उइके
रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर द्वारा ‘कोरोना पेंडेमिक की रोकथाम में विश्वविद्यालयों की भूमिका’ पर आयोजित ऑनलाइन जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में कुल 1000 विश्वविद्यालयों में लगभग 3 करोड़ विद्यार्थी अध्ययनरत है, जो कि भारत में सबसे ऊर्जावान, उत्साही व उत्सुक वर्ग समूह है। हमारे लिए हर्ष का विषय है कि टीका उत्सव 1 मई 2021 से प्रारंभ हो रहा है जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी युवाओं को टीका लगाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लगभग 1 वर्ष से विश्वविद्यालयों में पढ़ाई एवं अन्य गतिविधियॉ प्रभावित हुई है। हमें छात्रों के भविष्य की चिंता है, उन्हें डिजीटली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर उन्नत करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों की भूमिका अब पारंपरिक गतिविधियों से अलग वर्चुवल विश्वविद्यालय जैसे ऑनलाईन प्रवेश से ऑनलाईन डिग्री तक आ गई है। उन्होंने कहा कि आपदा की इस घड़ी ने सबको झकझोर कर रख दिया है। देश भर में लोगों का दैनिक जीवन ठहर सा गया है। संकट के इन पलों में उम्मीद की किरण के रूप में भारत देश के शीर्ष विश्वविद्यालय, शोध संस्थान कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहे है। हमारे संस्थान भी इसमें योगदान दे रहे है।
छत्तीसगढ़ के शिक्षण संस्थान अपनी शक्ति अनुसार आगे आकर पूरी तन्मयता से इस चुनौती से मुकाबला करने में जुटे है। हमें इस बात का ध्यान रहना चाहिए कि हम एक असाधारण और अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे है। इसने दुनिया के 14 करोड़ से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। लाखों लोगों की इस महामारी के कारण मृत्यु हो चुकी है। वहीं हमारे वैज्ञानिक, शोधार्थी, इंजीनियर, प्रोद्योगिकीविद, शिक्षक अपनी प्रतिभा और क्षमता के अनुसार कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान हेतु प्रयासरत है।
इस कठिन समय में यह संतोषजनक है कि छत्तीसगढ़ के शिक्षा संस्थानों में इस चुनौती से निपटने के लिए एक सकारात्मक माहौल बना हुआ है।
विश्वविद्यालय को ऐसे महामारियों से निपटने हेतु महामारी प्रबंधन, एकीकृत स्वास्थ्य प्रबंधन, मानसिक तनाव प्रबंधन, योग व हैप्पीनेस जैसे वास्तविक समाधान मूलक पाठ्यक्रम त्वरित रूप से प्रारंभ किया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ के सभी विश्वविद्यालय अपने-अपने स्तर पर सामाजिक उत्तरदायित्व निभाते आये है। विशेषकर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा लिये गये गोद ग्रामों में बालिका जन धन योजना के लिये जागरूकता में प्रशंसनीय कार्य किया है।
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय “गढ़बो नवा विश्वविद्यालय“ का संकल्प डिजीटली रूप से छत्तीसगढ़ प्रदेश में अग्रणी होने प्रयासरत है। मुझे विश्वास है कि अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य श्री अरूण दिवाकर नाथ बाजपेयी के अकादमिक एवं प्रशासनिक अनुभव व कुशल नेतृत्व में उत्तरोत्तर प्रगति जारी रहेगी।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि वैक्सीनेशन में अशिक्षा, अंधविश्वास, विभिन्न भ्रामक जानकारियों के कारण भय का वातावरण बनाता जा रहा है, इस हेतु विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय आपस में मिलकर लोगों को जागरूक करे।टीकाकरण हेतु न सिर्फ प्रेरित करे, बल्कि राष्ट्रीय सेवा योजना, एन.सी.सी. रेडक्रास इकाईयों द्वारा लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर तथा पीड़ितों को सुरक्षा के साथ हर संभव मदद पहुंचाये।
कोरोना महामारी से शिक्षा, अर्थव्यवस्था, विकासात्मक कार्य और विशेष रूप से जनहानि, स्वास्थ्य जन्य कार्य पर बहुत प्रभाव पड़ा है। अभी केवल वैक्सीनेशन ही एक मात्र उपाय है जिसे न केवल शहरी क्षेत्र बल्कि सुदूर ग्रामीण अंचलों तक पहुॅचाना है। इसमें विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय को एक रणनीति तैयार करनी होगी जिससे कि सुदूर आदिवासी छात्र-छात्राओं को वैक्सीन लग सके।उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय इसको महापर्व का नाम देकर मानव जाति के कल्याण के लिए इस पुनीत कार्य को करने के लिए विश्वविद्यालय की विभिन्न संस्थाओं एन.एस.एस., एन.सी.सी., खेल विभाग द्वारा अपनी भूमिकाओं को महत्वपूर्ण ढंग से निर्वहन करे।
उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूॅ कि विश्वविद्यालय द्वारा ऐसी महामारियों को अपने पाठ्यक्रमों में भी शामिल करे जिससे छात्र-छात्राओं में जागरूकता एवं इसके बचाव के उपाय की जानकारी हो। वहीं विश्वविद्यालय ऐसी बीमारियों के लिए पाठ्यक्रम के साथ-साथ शोध की संभावनाओं की भी खोज करें जिससे पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं शोध के साथ इन बीमारियों एवं इनके रोकथाम के बारे में आम लोगों तक विकट महामारी के बारे में जागरूकता पैदा करे।
भविष्य में होने वाली बीमारियों के लिए विश्वविद्यालय भी अपनी मेडिकल सुविधाओं को लागू करे जिससे कि ऐसी महामारी से आपदा प्रबंधन द्वारा आम लोगों को इसका लाभ मिल सके। मेडिकल सुविधाओं के लिए सरकारी और निजी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय अंशदान के तौर पर सहायता करे। संगोष्ठी, वेबीनार के माध्यम से विशेषज्ञों द्वारा महाविद्यालय / विश्वविद्यालय आम लोगों तक इस बीमारी से बचने के उपाय वैक्सीनेशन की जानकारी लगातार पहुॅंचाते रहें। इस बीमारी से लड़ने के लिए शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य का मजबूत होना आवश्यक है।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि हम कोविड से बहुत अधिक भयभीत हो गये हैं जिसकी वजह से अवसाद की स्थिति निर्मित होती है और व्यक्ति गंभीररूप से पीड़ित हो जाता है। मेरा ऐसा मानना है कि कोविड से भयभीत न हों मुकाबला करें और आत्मबल एवं संयम रखें। सकारात्मक भाव रखें, अपने लिये, अपने परिवार, पड़ोसियों, मित्रों के लिये, प्रदेश एवं देश के लिये अच्छा सोचें, अपने ईश्वर पर भरोसा रखें वह जो भी करेगें वह हमारे अच्छे के लिये ही होगा। चिकित्सकों, मनौवैज्ञानिकों, अध्यात्मिक गुरूओं, शासन द्वारा बताए जा रहे उपायों का पालन करें। हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति, योग, व्यायाम, आहार, विहार, दिनचर्या का पालन करें तो निश्चित रूप से हम इस महामारी से मुक्ति पा सकते हैं।
कोरोना महामारी के संक्रमण से निपटने के लिये हम सभी की भागीदारी अत्यन्त आवश्यक है। आज महामारी से बचने के लिये प्रदेश एवं देश के सभी नागरिकों को एकजुट होकर अपने कर्त्तव्यों एवं मूल्यों को निभाना है तभी हम इस महामारी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ईश्वर के आशीर्वाद से हम सभी कुशल एवं स्वस्थ्य होगें।
ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम को कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय विश्वविद्यालय उड़ीसा कोरापुट के कुलाधिपति प्रोफेसर पी वी कृष्णभट्ट, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के एल वर्मा, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुधीर शर्मा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रोफेसर ए डी एन वाजपेयी, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक श्री सौमित्र तिवारी एवं सुश्री श्रिया साहू ने भी संबोधित कर छात्र छात्राओं को लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं प्राध्यापकगण, एन एस एस के कार्यक्रम अधिकारी तथा छात्र छात्राएं उपस्थित थे।