(यह कविता उन सभी लोगों को समर्पित है जो अपने प्रिय से दूर आखरी साँसें गिन रहे हैं और अपने प्रिय की एक झलक पाना चाहते हैं)
आख़िरी गीत --------------------- आख़िरी गीत.. मुहब्बत का.. गुनगुना तो चलूँ। अंधेरा छा रहा है.. दीया लड़खड़ा रहा है.. झलक मिल...