November 21, 2024

त्र्यंबक राव साटकर की तीन कविताएं

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नई सुबह, नया प्रभात, 🙏🍀🍀
* वक्त का समय *
अभी वक्त ने समय मांगा है ,
थोड़ा ठहरो फिर आऊँगा ।
इंतजार का फल मीठा होता है,
फिर जिंदगी सँवार जाऊँगा ।
जो लफ्जों में मीठा होता है,
उसे मीठास से मैं भर देता हूँ ।
जो लफ्फाजी में आगे होता है,
वक्त उसका कड़वा कर देता हूँ ।
मैं थोड़ा समय सबका जरूर लेता हूँ ।
पर वक्त रहते सब ठीक भी कर देता हूँ ।
वक्त है चलो कर लेते हैं हम सुप्रभात ।
नई सुबह है, नये दिन का, नया प्रभात ।
सुप्रभात, 🙏🍀🍀
आप पर ईश्वर की कृपा बरसती रहे ।
साईं राम, राधे- राधे, जय श्रीकृष्णा ।
त्र्यम्बक राव साटकर “अम्बर”
22-05-2021

नई सुबह, नया प्रभात, 🙏🍀🍀
* वक्त के साथ *
जाने क्यों जिन्दगी पुकारती है,
पुरानी बातों को ही नकारती है ।
पर हम हैं कि ना चाहते हुए भी,
चाहते हैं कि इसी में सलामती है ।
जरा सी मुक्त की प्रक्रिया तो हो,
. फिर जिन्दगी तुम्हें संवारती है ।
वक्त में आती-जाती चहकती है,
यही वक्त की चाल समझती है ।
वक्त है चलो कर लेते हैं हम सुप्रभात,
नई सुबह है, नये दिन का, नया प्रभात ।
सुप्रभात,🙏🍀🍀
आप पर ईश्वर की कृपा बरसती रहे ।
साईं राम, राधे- राधे, जय श्रीकृष्णा ।
त्र्यम्बक राव साटकर “अम्बर”
21-05-2021

नई सुबह, नया प्रभात, 🙏🍀🍀
* वक्त की सौगात *
वक्त रहते समझ में आती है,
यदि कोई भी जरा सी बात ।
तो मत करो कुछ भी इंतजार,
वक्त को कर लो आत्मसात ।
वक्त से जब भी मिले आघात,
कोशिश ये हो ना हो प्रतिघात ।
वक्त का करो त्वरित सदुपयोग,
वक्त से मिलेगी अनुपम सौगात ।
वक्त है चलो कर लेते हैं हम सुप्रभात,
नई सुबह है, नये दिन का, नया प्रभात ।
सुप्रभात 🙏🍀🍀
आप पर ईश्वर की कृपा बरसती रहे ।
साईं राम, राधे- राधे, जय श्रीकृष्णा ।
त्र्यम्बक राव साटकर “अम्बर”
20-05-2021

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