November 21, 2024

लेखक कवि रवि‌ तिवारी की विविध रचनाएं

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आज का चिंतन
धर्म और राजनीति

धर्म का अर्थ होता है ‘धारण करने योग्य”.. धर्म मानव जीवन को जीने के मार्ग का विश्वास है और भगवान उसका प्रतीक दोनों ही विश्वास पर आधारित है। हर धर्म या यूं कहें समुदाय के अपने भगवान है किसी के एक किसी के अनेक।
जब तक विशुद्ध रूप से धर्म को आत्मसात कर इंसान सहजता से अपना जीवन जीता चला जाता है तब तक अपने विश्वास के साथ खुद के लिये बेहतरीन और दूसरे समुदायों के लिए कभी भी तकलीफदेह नहीं होता है, किन्तु जैसे जैसे इसमे कट्टरता या राजनीति का प्रादूर्भाव होता चला जाता है यह अंशांति, अराजकता व स्वयं अपने समुदाय के साथ अन्य समुदायों के लिए भी बहुत ही तकलीफदेह होने लगती है साथ ही परिणामतः प्रत्येक के जीवन में दिशाहीनता, भटकाव, अराजकता, अशांति व दूसरे पर कब्जे के साथ स्वयं को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की ओर उसके कदम स्वभावतः बढ़ने लगते ही है फिर उसका कोई अंत नही होता केवल समाज मे मारकाट बिखराव,डर व भय के।
यह सत्य है कि कोई भी धर्म नहीं सीखता आपस मे बैर रखना किन्तु राजनीति यह सब सीखा देती है हर इंसान को। धर्म आधारित राजनीति किसी भी देश या उसके नागरिको के लिए शुरुवाती दौर में बहुत अच्छी लगती है किंतु कालांतर में जाकर यह बहुत ही कष्टप्रद हो जाती है क्योकि इसका कट्टरपन वहां के नागरिकों को ना तो खुली हवा में सांस लेने देता है और नाही सोचने समझने की इजाजत। जीवन एक ही धर्म की कट्टरता की सोच के कैदखाने के जाल में जकड़ कर रख दिया जाता है।
अतः जहां तक हो सके प्रत्येक देश के नागरिकों को धर्म आधारित राजनीति को इसके शुरुवाती दौर में ही निरस्त कर देना चाहिए तथा उन शक्तियों को राजनीतिक ताकत कभी प्रदान नही करनी चाहिए जो धर्म की राजनीति करने में विश्वास करते है या इसे बढ़ावा देते है। विश्व मे धर्म आधारित राष्ट्रों के हालात किसी से छुपे हुए नही है।
धर्म और भगवान इंसानो का विश्वास है जिसकी शक्ति के आधार पर वह अपने जीवन की नैया को हर कठिन से कठिन संकटो का सामना कर पार लगाता है। ऐसी अद्भुत शक्ति को जब हम राजनीति या सत्ता पाने का आधार या हथियार बना लेते है तो वह शुरू में तो कारगर हो जाती है किंतु भविष्य में यह मानव जीवन के लिए उचित साबित नही होती है क्योकि इस पर से धीरे धीरे लोगों का विश्वास टूटने लगता है। इस बात का हम सभी लोगो को ध्यान रखना होगा कि भगवान एक विश्वास के अलावा और कुछ भी नहीं है और जब इस विश्वास का मालिक कोई एक इंसान या राजनैतिक पार्टी बनने लगती है तो उस विश्वास रूपी भगवान के अर्थ का अनर्थ तो होना ही है।
राष्ट्र के लिए उसका संविधान ही सर्वोपरी होता है उसी हिसाब से देश को चलना व चलाना चाहिए।धर्म के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण या तुष्टिकरण आपराधिक श्रेणी में लाया जाना चाहिए। किसी धर्म की धार्मिक कट्टरता यदि देश के संविधान को भंग करती है या खतरा पैदा करती है तो उनके धर्म गुरुवो पर आपराधिक मामला दर्ज कर तत्काल कार्यवाही की जानी चाहिए। धर्म को अपने समुदाय तक ही सीमित रखे राजनीति में उसका प्रवेश वर्जित व गैर कानूनी घोषित किया जाना चाहिए।राजनीति करने के बहुत मुद्दे है देश मे उस पर की जानी चाहिए धर्म पर कतई नहीं क्योकि यह मानव जाति के विश्वास से जुड़ा पहलू है जिसे कदापि भंग नहीं किया जा सकता है।
अतः समय रहते इसे समझने की कोशिश करें अपने लिए और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए।


सवाल आज का

समस्यों से इंसान अमूमन घबराता है।ईश्वर से प्रार्थना करते समय अकसर वह अपने रब से यह सविनय निवेदन करता ही है कि उसे समस्याओ का सामना ना करना पड़े और उसके काम आसानी से होते चले जाएं।
आज का विचारणीय सवाल इस बात का है कि समस्याए ही तो मानव जीवन को आगे बढाती है,अगर समस्याए ही नहीं होंगी तो पृथ्वी से मानव जीवन ही समाप्त हो जाएगा, फिर भी मनुष्य इन्हीं समस्याओ का सामना करने से इतना क्यों घबराता है ??
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सवाल आज का

हम कब तक अपनी मुसीबतों के लिए दूसरों को दोषी ठहराते तथा अपने भाग्य को कोसते रहेंगे ?
क्योकि जीवन में अधिकांश समस्याएं इंसान को अपने स्वयम के कारण ही भोगनी पड़ती है- चाहे वह अपनी सोच के कारण हो,आदत के कारण हो, लालच के कारण हो, संगत का असर हो, अनुशासन हीनता के कारण हो, फिर बिना मेहनत के अधिक पा जाने की दिली तम्मना हो या संस्कारो का पारिवारिक दोष हो.. आदि
एक बार आज गम्भीरता से सोचियेगा जरूर की अपने जीवन में भोगी गयी समस्याओ से हम कैसे बच सकते थे तथा इसके लिए वास्तव में दूसरे कितने दोषी रहे

सवाल आज का

आज केवल मीडिया आधारित जन मानस का ज्ञान व उनकी सोच बनती जा रही है तथा दूसरी ओर वही मीडिया अब पूर्णतः व्यवसायिक हो गया है।
अतः सोचिए दिमाग से हम स्वयम के साथ व अपने देश के साथ जन हित मे कितना निष्पक्ष सही न्याय कर पा रहे है ???
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मेरा मत

2019 के दिसम्बर माह से शुरू हुआ यह कोविड -19 जिसे WHO ने बाद में महामारी घोषित किया। जो आज मेरी नजर में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महा विश्व युद्ध है जिससे विश्व के सभी देश एक साथ लड़ रहे है इसमे केवल व्यापक पैमाने पर जन की हानि हो रही है। यह आगे कितने साल और चलेगा किसी को कुछ पता नहीं है।
यह एक ऐसा विश्व युद्ध है जो बिना किसी हथियार के लड़ा जा रहा है,जिसका दुश्मन केवल मानव समुदाय है। और उस मानव समुदाय का दुश्मन कोई देश नही, धर्म नहीं, जात नही, भगवान नहीं, केवल एक अद्रश्य सा विभिन्न रूप बदलता हुआ वायरस है। यह प्राकृतिक है या किसी देश की साजिश, यह सिद्ध होना अभी बाकी है।
इतिहास के पन्नो में इस तीसरे सबसे बड़े विश्व युद्ध की गाथा जब लिखी जाएगी वह बहुत ही रोचक और डरावनी होगी।
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