पहलगाम का नरसंहार

मधुकर अब तक नहीं लौटा
आ कर यात्रा वृत्तांत सुनाने;
दृश्य दिखाने पहलगाम का
यात्री का दशा हाल बताने।
सुना है जा रहे थे सैलानी
आनन्द का उत्सव मनाने;
वसुधा के शीतल कोने में
स्वर्ग धरा का दर्शन पाने।
अपना देश चमन अपना है
चारों ओर अपने ही थे लोग;
तभी दनादन चलीं गोलियां
आन पड़ा फिर दुखद दुयोग।
हुआ सभीत मन शंकाओं से
अपनों का क्या है ख़ैर खबर?
कितने जाहिल होंगे वे हैवान
रहम का नहीं तनिक असर।
चला दिए थे गोलियां दनादन
अपने घर आये मेहमानों पर;
दफन कर दिया है इंसानियत
रोजी रोटी के एहसानों पर।
साथ गया है मधुकर भी उनके
कुसुम कलेवर से मिलने घाटी;
आया न खबर मधु गुञ्जन का
आई न कुशलक्षेम चिठ्ठी पाती।
अपनों ने मार दिया अपनों को
उठ गया है मानवता से विश्वास;
शर्मसार हुई है फिर कश्मीरियत
रहा न विश्व बंधुत्व का एहसास?
गर्म हुआ हवा मछली बाजार में
आरोप प्रत्यारोप में बातें उलझीं;
अंतिम इलाज करने को रोग का
सरकार चाल चल रही है दुलकी।
पहलगाम का नरसंहार त्रासदी
भारत जन मन भुला न पायेगा;
फांसी का फंदा आका शैतान के
जब तक न गले में कस जायेगा।
-अंजनीकुमार’सुधाकर’
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(२४-०४-२०२५)