May 10, 2025

एक सामयिक हस्तक्षेप…

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कभी-कभी भारत माता घबराती है
गद्दारों की संख्या बढ़ती जाती है

आतंकवाद की हम सब निंदा करते हैं
लेकिन कुछ की छाती फटती जाती है

कैसी है वह पीढ़ी उसको क्या बोलें
खाए ‘इधर’ का और ‘उधर’ का गाती है!

देशविरोधी लोगों को पहचानें हम
हरकत उनकी समझ में अब तो आती है

राष्ट्र कहो या राष्ट्रवाद,कुछ लोगों को
पता नहीं क्यों कर मिर्ची लग जाती है 😀

संकट में जब देश घिरा,सब एक हुए
यही तो अपनी भारत माँ की थाती है

वंदे मातरम या के भारत माँ की जय
देशभक्त पीढ़ी पंकज दोहराती है

@ गिरीश पंकज

डायमंड बुक्स, नई दिल्ली से प्रकाशित बाल एकांकी संग्रह

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