November 21, 2024

गौरव पालीवाल की दो कविताएं

0

बहन!
क्या होती है बहन
इक भाई के सिर का ताज होती है
या शीतल मन में बहती प्रेममय रसधार होती है

वो होती है करुणा का रूप दिव्य ज्योति का स्वरुप
या ये कहें कि वह इस जग में आई प्रभू की एक छाया है

वो मां कि शान हैं
पिता कि पहचान है
और भाइयों के लिए एक नन्ही सी मुस्कान है

वो स्नेह जो उसने हाथ पर बांधा है
वो प्रेम माथे पर सजाया है
या जो चरणो में अमृत रूपी जल छलकाया है

चलो! चलो उसका कर्ज चुकाते हैं
दुनिया भर की खुशियां, सुकून, विश्वास आज उनके दामन में भर आते हैं
आज दिन बहुत खास है बहन के लिए कुछ मेरे पास है
तेरे सुकून के खातिर ओ बहना तेरा भाई हमेशा तेरे साथ है

दुनिया भर की खुशियां तेरे चरणों में लाऊंगा
अब मैं भाई होने का फर्ज निभाऊंगा
मैं रक्षक हूं तेरे सम्मान का, इज्जत का, प्रेम का, तेरे अंतर्मन कि दुविधा का एकमात्र उजाला हूं

अब खुदा से इक दुआ चाहता हूं
वो अनमोल वचन मैं फिर से मांगता हूं
वो ख्वाब जो शायद ही सच हो
मेरे पास ओ बहना तेरा बचपन हो

गुरु

क्या होता है गुरु

गुरु है शिक्षा का सागर
गुरु ही बांटा ज्ञान बराबर
आज मेरे सभी गुरुजनों को
नमन करूं मैं शीश झुका कर

कोख में तेरी मैंने सीखा
संघर्षों में आगे बढ़ना
तेरी ममता की छाया से
सीखा मैंने कर्मठ बनना
मां ने ही तो सीख लाया है
सदा बड़ों का आदर करना

पिता में हमेशा यही सिखाते
मेहनत से हर काम करो
मुश्किल कुछ भी नहीं जहां में
पढ़ो लिखो और नाम करो

गलती पर जब शिक्षक मारे
बुरा कभी ना मानो तुम
वह चाहे तुम बनो मेधावी
सफल शिखर तक जाओ तुम

मात पिता और गुरु ही होते
जिन से मिलता सच्चा ज्ञान
नमन करो तुम सदा इन्हीं को
सदा करो इनका सम्मान।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *