आत्मकथा किताब “आकाश का एक टुकड़ा” का विमोचन एवम विचार गोष्ठी का आयोजन

वरिष्ठ मलयालम कथाकार उपन्यासकार चंद्रशेखर पिल्लई की आत्मकथा किताब “आकाश का एक टुकड़ा” का विमोचन एवम विचार गोष्ठी का आयोजन
विगत दिवस मैत्री नगर फेस 2 में आयोजित वरिष्ठ मलयालम कथाकार उपन्यासकार के.जी.चंद्रशेखर पिल्लई की नई कृति आत्मकथा “आकाश का एक टुकड़ा” का विमोचन का आयोजन सम्पन्न हुआ ।
आयोजन की शुरुवात में कृतिकार चंद्रशेखर पिल्लई ने आत्मकथा लेखन संदर्भ में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत किये ।
इस अवसर पर आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने कहा इस आत्मकथा कृति में लेखक की परेशानियां उधृत हुई है इसमें उनके जीवन-संघर्ष की बात है केरल के प्रति प्रेम जागृत करती छत्तीसगढ़ को सामने लाती माता पिता के स्मरण में यह किताब पाठकों को बांध कर रखती है ।
वरिष्ठ कथाकार लोकबाबाबू ने कहा कहानी खुद कहानीकार की तलाश में रहती है ।देववचनम लेखक की पहली कहानी है ।आत्मकथा लिखना दुस्साहस का काम है इसमें ईमानदारी जरूरी है आत्मकथा लिखते हुए यह किताब संस्मरण किताब बन गई ।
वरिष्ठ साहित्यकार परदेशी राम वर्मा ने विस्तार से व्याख्या करते हुए कहा सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब आत्मकथा होती है इसमें रोचकता के साथ कथ्यात्मक नवीनता होती है । लेखक प्रकृति प्रेमी है । माता पिता सहित आकाश, मछली, जीव जंतु से लेखक का अगाध प्रेम झलकता है ।यह संघर्ष के सन्दर्भो की किताब है ।
वैभव प्रकाशन प्रमुख डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा इस आत्मकथा में बहुत सारी कहानियां समांतर रूप से चल रही है इसमें छोटी सी प्रेम कहानी भी है । जीवन यात्रा का सुंदर वर्णन इस आत्मकथा में है । मलयालम से हिंदी अनुवाद भी बहुत अच्छा हुआ है ।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव परमेश्वर वैष्णव ने कहा यद्यपि आत्मकथा गैर काल्पनिक कृति होती है,इसमें जीवन यात्रा का यथार्थ चित्रण आवश्यक है ।लेखक पिल्लई बड़े संघर्षशील और सरल स्वभावी हैं उन्होंने आत्मकथा लिखने का जोखिम भरा काम किया । संघर्ष का ताप,उम्मीद की ऊष्मा से उनकी यह आत्मकथा कृति पाठक प्रिय बेहद सम्प्रेषणीय है ।
वरिष्ठ साहित्यकार सन्तोष झांझी ने उत्कृष्ट लेखन के लिए लेखक के प्रयास को सराहा ।एच.आर.बी एस पी की महाप्रबंधक शिजा मैथ्यू ने कहा वयोवृद्ध होकर भी पिल्लई जी सतत लेखन कर रहे हैं यह हम सबके लिए रचनात्मक प्रेरणा संदेश है आगे भी उनके निरंतर सृजन की हम कामना करते हैं ।
इस अवसर पर राम सेवक वर्मा ,डॉ संजय दानी, ने भी विचार व्यक्त किये ।आयोजन में राम सेवक वर्मा द्वारा शाल श्रीफल से लेखक चंद्रशेखर पिल्लई का आत्मीय सम्मान किया गया ।
इस आयोजन का कुशल संचालन प्रोफेसर डॉ.नीलम गांधी ने किया । आयोजन में व्ही. पी.गीता, के.ए.नारायणा,पी.जी.कुरूप,डी.बी.डे,कुंजम्मा पप्पाचन,प्रनील गांधी आदि साहित्यकार सुधिजनों ने भी भागीदारी की ।