साहित्य-शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी पद्मश्री प्रोफेसर दिगंबर हांसदा का राजकीय सम्मान के साथ पार्वती घाट में किया अंतिम संस्कार
जमशेदपुर (जासं) । लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कॉलेज, परसुडीह करनडीह के पूर्व प्राचार्य और आदिवासी समाज के विभिन्न संगठनों से जुड़े रहे पद्मश्री प्रोफेसर दिगंबर हांसदा का शुक्रवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पार्वती घाट में अंतिम संस्कार किया गया।
परसुडीह के करनडीह आवास में दिगंबर हांसदा का गुरुवार को निधन हो गया था। वे बीमार चल रहे थे। उनकी पत्नी पार्वती हांसदा का काफी पहले स्वर्गवास हो गया था। तिरंगे में लपेट उनके पार्थिव शरीर को करनडीह निवास स्थान से अंतिम यात्रा सुबह 10.30 बजे निकली। बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट पर अंतिम संस्कार को शव को लाया गया।
जहां मंत्री चंपई सोरेन, विधायक रामदास सोरेन, संजीव सरदार, मंगल कालिंदी, समीर महंती, पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा, जिले के उपायुक्त सूरज कुमार एसएसपी एम तमिल वानन कई प्रशासनिक अधिकारियों व उनके परिवार के सदस्यों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जहां सभी ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। पुलिस जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। इसके साथ ही पंचतत्व में पार्थिव शरीर विलीन हो गया। वही झारखंड सरकार के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने उनके निधन को अपूर्ण क्षति बताया।
वर्ष 2018 में प्रो. दिगंबर हांसदा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था। इस मौके पर उन्होंने कहा था यह एक पड़ाव मात्र है। संताली भाषा के लिए बहुत कुछ करना है। भारतीय संविधान का संताली में अनुवाद उन्होंने किया था। संताली भाषा को विश्व पटल पर ले जाने में प्रो. हांसदा का अभूतपूर्व योगदान रहा। उनकी प्रमुख पुस्तकों में संताली लोकगाथा संग्रह, गंगमाला समेत कई शामिल है।