धुंधले साये
रोशनी आती रही उन जर्जर झरोखों से धुंधले होते गये क्यूँ अपनों के साये कानों में गूँजती रहीं यादों की...
रोशनी आती रही उन जर्जर झरोखों से धुंधले होते गये क्यूँ अपनों के साये कानों में गूँजती रहीं यादों की...
हर शख्स में तुझको तलाश किया किसी की बातों में तुम मिल जाते किसी के शब्दों की शक्ल में तुम...
धुंआ -धुंआ है आज शहर में,आग उगलते गांव दिखें। चादर छोटी झीनी- झीनी,दुख के लंबे पांव दिखें। छल छद्मों का...
मैं आसमान में चाँद देख रहा हूं किन्तु चाँद को चाँद कह पाने के भय से सहमा हुआ हूं मुझे...
दो टूक बात ............इसमें हेर फेर नही है दुनिया में कोई....सेर.......सवा सेर नही है तुमको भी सब मिलेगा..पहले कर्म तो...
भावना को अपने शब्दों में पिरोते हैं, चलो न अपनी अलग राह बनाते हैं। कुछ चुनिंदा साथी मिलकर हम सृजन...
कलाकार ------------ कितने अद्भुत लचीले हैं ये कलाकार कितने खूबसूरत। अपनी कमीज की मुड़ी आस्तीनों के साथ हमारे लिए जीते...
कभी हँस के तो कभी रो के गम छुपाते रहे लोगों से मिल के न डरपोक थे न ही कायर...
आज अपने गांव जाते समय आम्र-वृक्ष आम्र मंजरी से श्रृंगारित बहुत ही लुभावने लगे कुछ पँक्तियाँ भी मचल उठीं मन...
चलो आज फ़ुरसत से कुछ पन्ने पुराने पलट लिए जाएं ll इस से पहले कि बन जाऐं नासूर सब के...