इंजी. शिवेन्द्र शर्मा की दो कविताएं
कोरोना, दूर भगाना है
जाग उठो, अब जाग उठो, हम सबकी जान बचाना है,
इस कोरोना महामारी से , भारत को मुक्त कराना है l
हुई देश की हालत बदतर , दशा न देखी जाती है,
कीड़े, मकोड़ों की नाई, ये मौत न देखी जाती है l
देख के मंजर अति भयानक, फिर तुम्हे समझाना है,
इस कोरोना महामारी से ,………..
घर में ही रहना है भाई , बाहर नहीं निकलना है
साबुन लगा के बार बार , हाथों को धोते रहना है
दूर ही रहना है सबसे, नहिं करीब अब आना है
इस कोरोना महामारी से ,………..
बहुत जरूरी होने पर ही, तुमको बाहर जाना है
निकलो मास्क पहन कर ही, फिर जल्दी घर में आना है l
आई भीषण विपदा से, सबको हमे बचाना है l
इस कोरोना महामारी से ,………..
जरा सी लापरवाही भी, मँहगी बड़ी पड़ सकती है l
खुद के साथ साथ मुसीबत, घर वालों की बड़ सकती है l
जरा सी दिक्कत होने पर, डॉक्टर को दिखलाना है l
इस कोरोना महामारी से , भारत को मुक्त कराना है l
जाग उठो, अब जाग उठो, हम सबकी जान बचाना है l
इस कोरोना महामारी से , भारत को मुक्त कराना है ll
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मनुष्य तू कितना महान है
मनुष्य तू कितना महान हो गया रे,
जमीन छोड़ आसमान हो गया रे l
पूरी दुनिया का तू राजा हो गया,
राजा ही नहीं, महाराजा हो गया l
सारे प्राणी , तुझे सलाम करते हैं,
तेरे खौफ से, सब के सब डरते हैं l
तरक्की में तो तूने गजब ही ढाया है,
मानो इंद्र का सिंहासन डगमगाया है l
चाँद और मंगल तेरे लिए आसान हुए हैं,
मिसाइल, बम खेलने का सामान हुए हैं l
आज तू विपुल शक्ति का भंडार हो गया,
मानव, तू जग का महा नायक हो गया l
पर इतना भी गुरूर कभी अच्छा नहीं होता,
ख्वावों का ताज, कभी सच्चा नहीं होता l
सब संभव है तेरे लिए, तू यही सोचता है,
पर तू कुछ भी नहीं, ये क्यों नहीं सोचता है
ये बात भी यहाँ पे, सोलह आने सही है.
जरा सी एक चींटी, हाथी पर भारी रही है l
तेरी सुपर पावर को भी, आज ग्रहण लग गया,
सूक्ष्म सा कोरोना बिषाणु, तुझ पे भारी पड़ गया l
संभल जा वक्त रहते, वरना कुछ नहीं बचेगा,
नष्ट हो जाएगा सब , तेरा अस्तित्व न रहेगा l
प्रकृति की विक्रति , तुझे बड़ी महँगी पड़ेगी,
तू तो जाएगा ,अन्य जीवों की भी वली चडे़गीll..
इंजी. शिवेन्द्र शर्मा
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