यह सुगंधित धान की दुर्लभ प्रजाति का एक ऐसा किस्म है जिसे जिला जांजगीर – चांपा के किसान दुष्यंत कुमार सिंह ने संरक्षित किया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के 23750 प्रजातियों में यह सबसे अलग है । 2015 में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली ( PPVFRA ) ने इस परंपरागत प्रजाति के सुगंधित धान को दुष्यंत कुमार सिंह के नाम से पंजीकृत किया है । इसकी फसल 150 दिन में तैयार हो जाती है । रामजीरा धान की सही देखरेख के साथ खेती करने पर प्रति एकड़ 18 क्विंटल तक की पैदावार होती है । इस धान के पौधे की ऊँचाई तकरीबन 12 सेंटीमीटर तक जाती है जिसे खुली धूप के बीच हवा में लहकते देखना मन को प्रफुल्लित कर देता है। खेतों के बीच खड़े हैं किसान दुष्यंत भैया जहाँ रामजीरा धान की फसलें लहलहा रही हैं । सतीश कुमार सिंह