प्यारी-प्यारी चिड़ियां
सबको बहुत लुभाया करतीं
सबका मन हरसाया करतीं
सब पर प्रेम लुटाया करतीं
प्यारी – प्यारी चिड़ियां
कुटिया, बंगला, मंदिर, मस्जिद
गिरजाघर, गुरुद्वारा
कोई भेद न पाया करतीं
प्यारी – प्यारी चिड़ियां
जहां – कहीं दिख जाते दाने
सबको बुला- बुलाकर
खातीं और खिलाया करतीं
प्यारी – प्यारी चिड़ियां
दूर गगन से, दूर देश से
जब चाहे हो आतीं
पिंजरे से कतराया करतीं
प्यारी- प्यारी चिड़ियां
तिनका – तिनका जोड़ – जोड़कर
नीड़ बना सुंदर – सुंदर
हम सबको चकराया करतीं
प्यारी – प्यारी चिड़ियां
डाली – डाली, आंगन – आंगन
फुदक – फुदककर, चहक – चहककर
घर – घर अलख जगाया करतीं
प्यारी – प्यारी चिड़ियां
कमलेश चंद्राकर
बालहंस – जून 1993-2- में प्रकाशित