केवल झाग, बस वही
मूल लेखक : हर्नांडो टेलेज़
अनुवाद : सुशांत सुप्रिय
दुकान में घुसते हुए उसने कुछ नहीं कहा । मैं अपने सबसे अच्छे उस्तरे चमोटे पर घिस रहा था । उसे पहचानते ही मैं काँपने लगा । लेकिन उसने इस ओर ग़ौर नहीं किया । अपनी भावनाओं को छिपाने की उम्मीद में मैं उस्तरों को धार देता रहा । मैंने अपने अंगूठे के मांस पर उनका परीक्षण किया , और फिर उन्हें रोशनी में देखने लगा ।
उसी पल उसने गोलियों से जड़ा अपना कमरबंद निकाल लिया जिससे उसकी पिस्तौल की खोल लटकी हुई थी । उसने उसे दीवार में लगी एक कील पर टाँग दिया और अपनी फ़ौजी टोपी भी वहीं लटका दी । फिर वह मेरी ओर मुड़ा और अपनी टाई की गाँठ ढीली करता हुआ बोला , “ भयानक गर्मी है । ज़रा मेरी दाढ़ी बना दो । “ यह कहकर वह कुर्सी पर बैठ गया ।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि उसकी दाढ़ी चार दिन पुरानी थी — हाल ही के वे चार दिन जब वे लोग हमारे सैनिकों के विरुद्ध अभियान चला रहे थे । उसका चेहरा धूप में ज़्यादा देर तक रहने की वजह से जला हुआ-सा लग रहा था । मैं ध्यान से साबुन से झाग तैयार करने लगा । मैंने साबुन के कुछ टुकड़े काट कर उन्हें एक कप में डाला और उसमें गर्म पानी डाल कर उसे ब्रश से हिलाने लगा । तत्काल झाग उठने लगा ।
“ समूह के अन्य लड़कों की दाढ़ी भी इतनी ही बढ़ गई होगी , “ उसने कहा । मैं झाग को फेंटता रहा ।
“ लेकिन हम सफल हुए , समझे ? हमने उनके प्रमुख लोगों को पकड़ लिया । कुछ को हम मुर्दा लाए , कुछ अन्य को ज़िंदा पकड़ लाए । लेकिन जल्दी ही वे सब मारे जाएँगे । “
“ आप कितने लोगों को पकड़ पाए ? “ मैंने पूछा ।
“ चौदह । हमें उन्हें पकड़ने के लिए घने जंगल में जाना पड़ा । पर हम सारा हिसाब-किताब चुका लेंगे । उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचेगा । “
जब उसने झाग से भरा ब्रश मेरे हाथ में देखा तो उसने कुर्सी पर पीछे टेक लगा ली । मुझे अब भी उसके चारों ओर एक बड़ा कपड़ा डालना था । इसमें कोई शक नहीं था कि मैं घबराया हुआ था । मैंने एक दराज में से एक बड़ा कपड़ा निकाला और उसके गले के चारों ओर गाँठ बाँध कर वह कपड़ा उस पर डाल दिया । उसने बात करना जारी रखा । शायद उसने सोचा कि मैं उसके दल से सहानुभूति रखता हूँ ।
“ हमने जो किया उससे शहर के निवासियों को सबक़ मिला होगा । “ उसने कहा ।
“ हाँ , “ मैंने उसके गर्दन पर बँधी कपड़े की गाँठ को कसते हुए कहा ।
“ हमने बढ़िया ढंग से वह काम किया , नहीं ? “
“ बहुत बढ़िया , “ ब्रश के लिए मुड़ते हुए मैंने जवाब दिया ।
उस आदमी ने थकान का प्रदर्शन करते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और झाग के ठंडे स्पर्श की प्रतीक्षा करते हुए बैठा रहा । इससे पहले मैंने कभी उसे अपने इतने क़रीब नहीं पाया था । जिस दिन उसने शहर के सभी निवासियों को स्कूल के आँगन में उन चार विद्रोहियों की लाशों को देखने के लिए इकट्ठा किया था , उस दिन मैंने कुछ पल के लिए खुद को उसके सामने पाया था । पर विद्रोहियों की क्षत-विक्षत देहों के दृश्य की वजह से मैं उसके चेहरे को गौर से नहीं देख सका था । वही इस पूरे कांड का संचालक था । उसी का चेहरा अब मैं अपने हाथों में लेने वाला था ।
वाक़ई वह कोई अप्रिय चेहरा नहीं था । और वह दाढ़ी भी अशोभनीय नहीं थी , जो उसे थोड़ी बड़ी उम्र का बना रही थी । उसका नाम टौरेस था , कप्तान टौरेस ।
मैं उसके चेहरे पर झाग की पहली परत लगाने लगा । उसने अपनी आँखें बंद रखीं ।
मुझे झपकी लेने में मज़ा आएगा , “ वह बोला । “ लेकिन आज शाम के लिए बहुत सारा काम किया जाना बाक़ी है । “
मैंने ब्रश उठा कर बनावटी उदासीनता से कहा , “ क्या वह काम विद्रोहियों को गोली मारने का
है ? “
“ हाँ , उसी तरह का काम है , “ उसने उत्तर दिया । “ लेकिन थोड़ा धीमा । “
“ सबको मारना है ? “
“ नहीं , केवल कुछ को । “
मैं उसके गालों पर झाग लगाता रहा । मेरे हाथ फिर से काँपने लगे । वह आदमी इससे अनभिज्ञ
था । मेरी क़िस्मत अच्छी थी । लेकिन मैंने चाहा कि काश , वह यहाँ नहीं आया होता । शायद हमारे कई लोगों ने उसे मेरी दुकान में दाखिल होते हुए देख लिया होगा । दुश्मन मेरे घर में आया था । मैंने ज़िम्मेदारी महसूस
की ।
मुझे किसी आम नाई की तरह ही बहुत सावधानी और सफ़ाई से उसकी दाढ़ी बनानी थी , जैसे कि वह कोई अच्छा ग्राहक हो । उसके एक भी रोम-छिद्र से खून की बूँद नहीं निकलनी चाहिए । मुझे यह भी सुनिश्चित करना था कि मेरे उस्तरे की ब्लेड उसकी त्वचा के किसी भी छोटे-से गड्ढे में न फिसले । मुझे यह भी देखना था कि उसकी त्वचा मुलायम और चमकदार बनी रहे ताकि जब मैं अपने हाथ का पिछला हिस्सा उस के गाल पर फेरूँ , तो वहाँ कोई भी बचा हुआ बाल महसूस न हो । हाँ , गुप्त रूप से मैं भी एक क्रांतिकारी था , लेकिन इसके साथ ही मैं एक कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार नाई भी था । मुझे अपने पेशे और अपने काम करने के तरीक़े पर गर्व था और चार दिनों की बढ़ी वह दाढ़ी एक चुनौती थी ।
मैंने उस्तरा लिया , उसके ब्लेड वाले फाँक को बाहर निकाला और फिर एक ओर की कलम के नीचे अपने काम में लग गया । उस्तरा आराम से त्वचा पर चलने लगा । उसकी दाढ़ी मुलायम नहीं थी बल्कि कड़ी थी । वह ज़्यादा लम्बी नहीं थी , पर घनी थी । धीरे-धीरे साफ़ त्वचा उभरने लगी । उस्तरा किरकिराते हुए त्वचा पर आगे बढ़ता रहा । वह वैसी ही साधारण आवाज़ निकालता रहा जबकि उसके दूसरे सिरे पर झाग और बालों के गुच्छे जमा होते चले गए ।
मैं उस्तरे को साफ़ करने के लिए एक पल रुका । फिर उस्तरे को धार देने के लिए मैंने दोबारा चमोटा उठा लिया क्योंकि मैं सही ढंग से काम करने वाला नाई हूँ । उस आदमी ने अपनी बंद आँखें अब खोल लीं । उसने अपना एक हाथ बँधे हुए कपड़े के भीतर से बाहर निकाला और उसने उस जगह अपने गाल की त्वचा को अपने हाथ से महसूस किया , जहाँ से झाग अब साफ़ कर दिया गया था । फिर वह बोला , “ आज शाम छह बजे स्कूल के अहाते में आना । “
“ क्या जो उस दिन देखा था , वही देखने के लिए ? “ मैंने भयभीत होते हुए पूछा ।
“ आज का तमाशा पिछली बार से बेहतर हो सकता है , “ उसने कहा ।
“ आपकी योजना क्या करने की है ? “
“ मैं अभी नहीं जानता । लेकिन हम सब वहाँ अपना मनोरंजन करेंगे । “
एक बार फिर उसने पीछे कुर्सी पर टेक लगा कर अपनी आँखें मूँद लीं । मैं उस्तरा लेकर उसकी ओर बढ़ा ।
“ क्या आप उन सभी को सज़ा देना चाहते हैं ? “ जोखिम उठाते हुए मैंने सहम कर पूछा ।
“ हाँ , सभी को । “
साबुन का झाग उसके चेहरे पर सूख रहा था । मुझे जल्दी करनी पड़ी । आईने में मैंने गली की ओर देखा । वह पहले जैसी ही नज़र आई : पंसारी की दुकान में दो या तीन ग्राहक मौजूद थे। फिर मैंने दीवार-घड़ी पर नज़र दौड़ाई : दोपहर के दो बज कर बीस मिनट हो रहे थे । उस्तरा त्वचा पर नीचे की ओर चलता रहा । अब मैं दूसरी कलम के नीचे की ओर दाढ़ी बना रहा था । घनी , नीली दाढ़ी । उसे कुछ कवियों या पुजारियों की दाढ़ी की तरह इस दाढ़ी को बढ़ने का अवसर देना चाहिए था । वह दाढ़ी उस पर फबती । बहुत सारे लोग उसे पहचान नहीं पाते । इसमें उसका फ़ायदा ही था — मैंने गले के पास की जगह को मुलायम बनाने का प्रयास करते हुए सोचा । इस जगह पर उस्तरे को बड़ी प्रवीणता से चलाना था । हालाँकि यहाँ मुलायम बाल थे पर वे छोटे-छोटे घुँघराले गुच्छों में बदल गए थे । घने , घुँघराले बालों वाला कोई भी रोम-छिद्र खुल सकता था और उससे खून की बूँद बाहर टपक सकती थी । मेरे जैसा अच्छा नाई अपने किसी भी ग्राहक के साथ ऐसा नहीं होने देता । और यह तो विशिष्ट ग्राहक था । हममें से कितनों को इसने गोली मार देने का आदेश दे कर मरवा दिया था ? हममें से कितनों की मृत देह को इसने क्षत-विक्षत करने का आदेश दे दिया था ? बेहतर होता कि मैं यह सब नहीं सोचता । टोरेस यह नहीं जानता था कि मैं उसका शत्रु था । न उसे इस बात का पता था , न ही उसके अन्य साथी यह बात जानते थे । इस गुप्त बात के बारे में बहुत कम लोग जानते थे । इसी वजह से हर बार जब टोरेस शहर में कुछ करता था , विद्रोहियों का शिकार करने का अभियान चलाता था तो मैं उस के बारे में अपने लोगों को ख़ुफ़िया जानकारी दे सकता था । इसलिए मेरे लिए विद्रोहियों को यह बताना बेहद मुश्किल होने वाला था कि टोरेस मेरे चंगुल में था और मैंने उसे शांति से बच कर निकल जाने दिया — जीवित और बनी हुई दाढ़ी के साथ ।
दाढ़ी अब लगभग पूरी बन गई थी । वह अपनी उम्र से कम आयु का लग रहा था , जैसे जब वह दुकान में आया था उसकी तुलना में अब उसके कंधों पर बरसों का भार नहीं रहा था । शायद उन लोगों के साथ यह हमेशा होता है जो नाई की दुकान पर जाते हैं । मेरे उस्तरे की करामात की वजह से टोरेस जैसे तरुण बन गया था । ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि मैं एक बढ़िया नाई हूँ , कम-से-कम इस शहर का सर्वश्रेष्ठ नाई हूँ । बस उसकी ठोड़ी के नीचे , गले के पास थोड़ा-सा झाग और लगाने की ज़रूरत थी । दिन कितना गर्म हो गया था । टोरेस को भी मेरी ही तरह काफ़ी पसीना आ रहा होगा । लेकिन वह बिल्कुल भयभीत नहीं था । वह एक शांत व्यक्ति था जिसने यह भी नहीं सोचा था कि उसे आज दोपहर-बाद बंदियों के साथ क्या करना है । दूसरी ओर मैं हूँ । मेरे हाथ में उस्तरा है और मैं उसके गाल और गले की त्वचा पर अपने हाथ फेर रहा हूँ । मैं कोशिश कर रहा हूँ कि इन रोम-छिद्रों से खून की बूँद नहीं निकले । लेकिन इस सब के बीच मैं ठीक से सोच नहीं पा रहा हूँ । धिक्कार है उसे यहाँ आने पर , क्योंकि मैं एक क्रांतिकारी हूँ , हत्यारा नहीं । और उसे मार डालना कितना आसान होगा । उसका मर जाना न्यायोचित होगा । क्या वाक़ई ? नहीं ! उफ़् , शैतान कहीं का । किसी और के लिए कोई अपना बलिदान दे कर हत्यारा क्यों बने ? इससे क्या फ़ायदा होगा ? कुछ नहीं । यह मरेगा तो कोई और आ जाएगा । वह मरेगा तो दूसरा कोई और आ जाएगा । और इस तरह हत्याओं का यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक खून का समुद्र नहीं बन जाता ।
मैं इसका गला पल भर में रेत सकता हूँ । खचाक् , खचाक् ! मैं इसे शिकायत करने का मौक़ा ही नहीं दूँगा । वैसे भी इसने अपनी आँखें बंद की हुई हैं । इसलिए यह न तो उस्तरे की चमकदार धार , न ही मेरी चमकीली आँखें देख सकेगा । लेकिन मैं तो असली हत्यारे की तरह पहले ही काँप रहा हूँ । इसके गले से खून का फ़व्वारा निकलेगा और चादर , कुर्सी , मेरे हाथों और फ़र्श को भिगो देगा । मुझे दुकान का दरवाज़ा बंद करना पड़ेगा । और खून तब तक फ़र्श पर फैलता चला जाएगा जब तक वह गर्म , अनुन्मूलनीय , अनियंत्रित लहू बाहर गली तक नहीं पहुँच जाता — छोटी सी एक लाल धारा के रूप में । मुझे पूरा यक़ीन है कि एक तगड़ा झटका , एक गहरा चीरा सारे दर्द दूर कर देगा । इसे तड़पना नहीं पड़ेगा । लेकिन मैं इसकी लाश का क्या करूँगा ? मैं इसकी मृत देह को कहाँ छिपाऊँगा ? मुझे अपना सब कुछ यहीं छोड़ कर भागना पड़ेगा और कहीं दूर , बहुत दूर जा कर शरण लेनी होगी । लेकिन वे तब तक मेरा पीछा करेंगे जब तक वे मुझे ढूँढ़ नहीं लेते । “ कप्तान टोरेस का हत्यारा ! इस नाई ने दाढ़ी बनाते हुए कप्तान का गला काट दिया । कायर कहीं का । “
और दूसरी ओर के लोग क्या कहेंगे ? “ उसने हम सब का बदला ले लिया । उसका नाम याद रखा जाना चाहिए । ( और यहाँ वे मेरे नाम का ज़िक्र करेंगे । ) वह शहर का नाई था । कोई नहीं जानता था कि वह हमारा समर्थक था । “
और इस सब से क्या होगा ? या तो मैं हत्यारा कहलाऊँगा या नायक । मेरी नियति इस उस्तरे की धार पर निर्भर करेगी । मैं अपना हाथ थोड़ा और मोड़ सकता हूँ । उस्तरे को त्वचा पर ज़ोर से दबा कर मैं गले को गहराई तक काट सकता हूँ । त्वचा रेशम की तरह, रबड़ की तरह कट जाएगी । मनुष्य की त्वचा से अधिक मुलायम और कुछ नहीं होता और उसके ठीक नीचे तेज़ी से बाहर निकल आने के लिए खून मौजूद होता है । ऐसी धारदार ब्लेड कभी विफल नहीं होती । यह मेरा बेहतरीन उस्तरा है । लेकिन मैं हत्यारा नहीं कहलाना चाहता । बिल्कुल नहीं । आप मेरे पास दाढ़ी बनवाने के लिए आए हैं । और मैं ईमानदारी से अपना काम करता हूँ … मुझे खून से सने हाथ नहीं चाहिए । केवल झाग , बस वही । आप हत्यारे हो सकते हैं लेकिन मैं केवल एक नाई हूँ । समाज में हर व्यक्ति की एक जगह होती है । हाँ , हर व्यक्ति की अपनी एक जगह होती है ।
अब उसकी ठोड़ी साफ़-सुथरी और मुलायम हो गई थी । वह कुर्सी पर आगे की ओर हो कर बैठ गया और उसने आईने में ग़ौर से अपना चेहरा देखा । फिर उसने अपने गालों पर अपने हाथ फेरे और उसे अपनी त्वचा बिल्कुल नई और ताज़ा लगी ।
“ शुक्रिया , “ उसने कहा । वह उठ कर दीवार की खूँटी पर टँगी अपनी बेल्ट , पिस्तौल और टोपी की ओर बढ़ा । मेरे चेहरे का रंग उड़ गया होगा । मेरी क़मीज़ पसीने से भीगी हुई महसूस हो रही थी । टोरेस ने अपनी बेल्ट पहनी , खोल में मौजूद अपनी पिस्तौल को ठीक किया और अपने बालों पर क़रीने से हाथ फेरने के बाद उसने अपनी फ़ौजी टोपी पहन ली । अपनी पतलून की जेब में से उसने कई सिक्के निकाल लिए ताकि वह अपनी दाढ़ी बनाने के एवज़ में मुझे पैसे दे सके । फिर वह दरवाज़े की ओर बढ़ा । दरवाज़े के पास पहुँच कर वह एक पल के लिए रुका और मेरी ओर मुड़ कर उसने कहा , “ उन्होंने मुझे बताया कि तुम मेरी हत्या कर दोगे । मैं केवल यही जानने के लिए यहाँ आया था । पर किसी को मारना इतना आसान नहीं होता । तुम मेरा यक़ीन मानो । “ इतना कह कर वह बाहर गली में निकल कर आगे बढ़ गया ।
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