November 22, 2024

मैं एक भरोसे के साथ
उन सभी लोगों की ओर देखता हूँ
जिनका होना इस दौर में भरोसा बचा रहना है ।

भरोसा अब खत्म होने लगा है
अगर नहीं भी – तो कोई
इसके होने का भरोसा नहीं करता ।

दो आदमी गाँव की बस में बैठते हुए पूछते नहीं
कि वो गाँव जाएगी क्या ?
गाँव की टिकट ही उनका भरोसा है।

रास्ता ठीक है, यह रास्ते पर भरोसा है
अगले महीने मॉनसून आएगा
यह आषाढ़ के आने के पहले का भरोसा है।

एक वुद्ध प्रायः दरवाज़े पर खँजरी बजाता आ जाता है
उसे कुछ न कुछ मिल जाता है
यह उसका मेरे दरवाज़े का भरोसा है ।

एक गाय प्रतिदिन
ठीक समय पर मित्र के दरवाज़े आती है
वहां उसका हिस्सा है
यह उसका उस घर पर भरोसा है।

मैंने रचना भेजी यह सम्पादक पर भरोसा है।

और, यह भी तो भरोसा ही हुआ न
हर पाँच साल में वे दरवाज़े पर आते हैं
हाथ जोड़ते हैं ! और हम, और हम सोचते हैं
कि कुछ अच्छा होने वाला है।

जीवन से हमारा जुड़ाव कितना विनम्र है
जबकि सारे भरोसेमंद लोग
सिर्फ भरोसा है का भरम बन कर भरोसा जता रहे हैं।

और एक हम हैं,
कि लगता है वो सचमुच भरोसा देगा इस बार !!

सुबह के भरोसे में शाम हो जाती है
और सुबह कभी आती ही नहीं !

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राजेश गनोदवाले

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