तू गुनाहों का देवता
तू गुनाहों का देवता
मैं पीली छतरी वाली लड़की
तू जैसे राम निराला का
मैं श्रद्धा प्रसाद के मन की
तू कुरुक्षेत्र, तू रश्मिरथी
मैं यशोधरा, मैं ऊर्वशी
तू शेखर है अज्ञेय का
मैं धनिया मुंशी प्रेमचंद की
तू महावीर की सरस्वती, मैं प्रेमचंद का हंस प्रिये!
तू ढूंढे जो कस्तूरी सा, मैं ही वो तेरा अंश प्रिये!
तुझमें मानस की मर्यादा
मैं ढाई आखर प्रेम का
तू पद्मावत का रत्नसेन
मैं नागमती की विरह व्यथा
तू लांजाइनस का उदात्त तत्व
मैं इलियट की निर्वैयक्तिकता
तू पन्त की कोमल कल्पना
मैं सामंजस्य विरुद्धों का
तू रामायण के लक्ष्मण सा, मैं उर्मिला का त्याग प्रिये!
तुझमें शीतलता चन्दा की, मैं सूरज की हूँ आग प्रिये!
तू संगम इलाहाबाद का है
मैं घाट औ’ गली बनारस की
तू ताजमहल का शाहजहाँ
मैं अनारकली दीवारों की
तू शिवगामी का बाहुबली
मैं बन्दी राजकुमारी क्यों?
तू पुरुष तुझे अधिकार मिले
बस मैं ही करूं समर्पण क्यों?
ना मंजनू ना फरहाद है तू, ना मैं रांझे की हीर प्रिये!
तू नायक कवि बिहारी का, मैं घनानंद की पीर प्रिये!
नताशा इन्दुस्काया