November 22, 2024

द्रोपदी के कृष्ण की तलाश

0

राधा के श्याम की नहीं,मुझे तो,
मीरा के कृष्ण की तलाश थी।

प्रेम भी उपासना भी,
उस प्रेम की आस थी।

द्रोपदी के मित्र जो,
उस सखा,कृष्ण की तलाश थी।

वो सौहार्द्र भी, वो खयाल भी
उलझे मन का सुलझा हाल भी,
उस द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी।

##राधा का श्याम कोई भी बन जायेगा,
द्रोपदी का #कृष्ण बनना है मुश्किल,
द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी।##

राधा का श्याम नहीं मुझे तो,
मीरा के कृष्ण की तलाश थी।

बिन स्पर्श स्पर्शरहित ,
उस मन की तलाश थी।
मन को छूकर चीर बांधा था,
द्रोपदी ने हाथों में,
द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी।

वक़्त रहते वो हर वक़्त साथ थे,
अस्मिता पे बन आये तो,
अम्बर और आकाश थे,
मित्र और सखा,
प्रेम से भी कहीं पवित्र,
द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी।

राम समझकर मैंने मोहन
को पाया,
पर निकला छलिया वो,
तब ज़िन्दगी में मैं हताश थी,
द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी।

मन की बातों को जानकर,
मुझे पहचानकर,
नेत्रों से छलकते उन अश्रुओं में,
द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी।

एक मित्र ऐसा प्रेम से परे,
स्पर्श से परे,
उपासना और निश्छलता से खरे,
द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी,
द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी।

#Prakriti_ Dipa sahu
Tilda Raipur (C.G.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *