झूठ की खेती
■ शहंशाह आलम
चित्र : अशोक भौमिक
कोई राजा हल चलाता हुआ देखा नहीं गया कभी
तब भी राजा झूठ की खेती करता रहता है कुशल पूरी तरह
झूठ बोलने के लिए राजा को मशक़्क़त नहीं करनी होती
राजा का दौवारिक राजा के सभासद राजा के मंत्री
राजा के अख़बार राजा के मीडियाकर्मी राजा के फ़िल्मकार
राजा के पटकथा लेखक राजा के निर्देशक राजा के अभिनेता
राजा के वकील राजा के जज राजा के टाइपिस्ट
सभी इस बात को लेकर संगठित होते हैं कि राजा जब कोई झूठ कहे
सभी झूठ को सच साबित करने के शानदार अभिनय से लग जाएँ
जैसे राजा कहें कि उसके देश में किसी की अकालमृत्यु नहीं हुई
सभी इस गीदड़भभकी के काम से लग जाएँ कि हाँ, ऐसा नहीं हुआ
जैसे राजा कहें कि उसके देश में महँगाई के कारण कोई नहीं मरा
सभी इस प्रेस रिलीज़ को जारी करने के काम से लग जाएँ
कि हाँ, राजा के देश में महँगाई तो है ही नहीं, तब आत्महत्या कैसी
जैसे राजा कहें कि उसके देश में किसी की निगरानी नहीं की जाती
सभी हल्ला मचाएँ कि हाँ, राजा को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है
जैसे राजा कहें कि उसी की जय अब भारत माता की जय है
सभी चीख़ें कि हाँ, जो राजा के विरुद्ध जाएगा, वो मारा जाएगा
क्या यह सच नहीं कि झूठ की खेती में अब काफ़ी बरकत है
और यही एक सच है जो जीवित बचा दिखाई देता है हर तरफ़।