रहिमन पानी राखिए
इस दुनिया में मोटे तौर पर दो तरह के लोग होते हैं एक वो जो इस्तेमाल करना जानते हैं और दूसरे वो जो इस्तेमाल किए जाते हैं।गोया कि जंगल में रोज़ एक हिरन दौड़ता है शिकार होने से बचने के लिए और रोज़ एक शेर दौड़ता है अपना शिकार करने के लिए…… कुछ लोग शिकारी की भूमिका में होते हैं,स्वभावतः वो अपनें आस पास के हर व्यक्ति का उपयोग अपनी ज़रूरत के लिए करते हैं,ऐसे लोग बहुत बेहतर तरीक़े से समझते हैं कि फलां इंसान की फलां खूबी को अपनी ज़रूरत के लिए कैसे उपयोग करना है। और कुछ लोग शिकार की भूमिका में होते हैं जिनको किसी न किसी कटना है।आज की दुनिया की मैनेजमेंट और सफलता के गुर सिखाने वाली किताबें बकायदा लोगों को अपनी ज़रूरत के मुताबिक इस्तेमाल करने के इस गुण को आत्मसात करने के तरीके सिखाती हैं,इसका पुरज़ोर समर्थन भी करती है।आप किसी भी लेखक की सेल्फ हेल्प type किताब जैसे “शक्ति के 48 नियम” सोचिए और अमीर बनिए” वगैरह को पढ़िए उसमें ethics को कोई जगह नहीं है उनका एक मात्र ध्येय पैसा और व्यावसायिक सफलता है और इस जंग में सब कुछ जायज़ है,ये किताबें सिलेसिलेवार आपको cunning होना सिखाती हैं। सभी सेल्फ हेल्प किताबें यही करती हैं या unethical होती हैं ऐसा मै नही कह रही हूं। लेकिन अधिकांश में कहीं न कहीं आपको ये अध्याय पढ़ने ज़रूर मिलेगा।
शायद इस कठोर प्रतिस्पर्धा के युग में जिनको व्यवसायिक रूप से सफल होना है या अपने आप को टिकाए रखना है उनके लिए ये tricks ज़रूरी भी है, लेकिन मैं चर्चा कर रही हूं उन लोगों की जो आपके आस पास ही होते हैं और बिना कोई प्रशिक्षण लिए आपकी प्रतिभा का,आपकी क्षमता का निर्बाध दोहन करते रहते हैं। ये लोग बस अपना काम करवाना चाहते हैं और बेहतर तरीके से समझते हैं कि उनमें जो काबिलियत नहीं है उसकी पूर्ति आपकी काबिलियत का बेजा इस्तेमाल करके कैसे पूरी की जा सकती है। मेरे आस–पास भी कुछ लोग हैं जो ज़रूरत के वक्त अपना पैदाइशी हक़ समझ कर मुझसे चाहे जो काम करवा लेना चाहते हैं और जब उनका मौका आता है तो बेशर्म बहाने बनाते हैं। उन्हें कोई अफ़सोस झूठ बोलने में,अर्थ का कुअर्थ करने में,दो लोगो के बीच गलतफहमी पैदा करने में,अपनी झूठी छवि गढ़ने में नही होता,येन केन प्रकारेण बस अपना उल्लू सीधा होना चाहिए।
पहले मैं भी अकसर भावनाओं में बहकर और उनकी स्वार्थी तारीफों से प्रेरित होकर जो काम वो मुझसे चाहते थे किया करती थी अपनी पूरी क्षमता के साथ…. लेकिन कुछ अनुभवों ने मुझे सिखाया है कि अपने आप का दोहन होने से रोकना,ख़ुद की कीमत को ठीक ठीक समझना।हम सबको जो,अकसर भलमनसाहत में लोगों के काम आते रहते हैं ये ज़रूर सीखना होगा कि कैसे चतुर लोगों को अपनी योग्यता का बेजा फायदा उठाने से रोकना होगा।
आपको अपने आप को use किए जानें से बचाना आना चाहिए वो भी आपस मे कड़वाहट आए बिना,आपको खुद का,अपनी क्षमताओं का और खुद के समय का मूल्यांकन करते आना चाहिए,ताकि कोई अपने काम में बिना किसी मतलब या लाभ के आपका प्रयोग न कर लें।अपनी कीमत पहचानिए और चतुर लोगों को इस पर discount देना बंद कीजिए।किसी के काम आना, लोगो का साथ देना,बुरे वक्त में मदद करना अच्छे गुण हैं। लेकिन ये स्वप्रेरित और आपके अपने विवेक से निर्णित होने चाहिए किसी के झूठे बहकावे या असहायता के नाटक से प्रेरित नहीं।
ऐसा मुझे मेरे मतानुसार लगता है।
मनस्वी अपर्णा