November 22, 2024

भारती गौड़

“आशुतोष राणा जी की कृति रामराज्य एक अभिव्यंजना है।”

ये किताब, हिंदी साहित्य को एक उपहार है जो असल में आज के दौर पर एक उपकार है। आज का दौर क्यों कहा मैंने, इसका जवाब मैं नीचे ज़रूर देती चली जाऊँगी। मैं वक्तव्यों के न्यायोचित कारण देने में यकीन रखती हूँ, खासकर जो मैं कह रही हूँ।

कोई भी किताब पढ़ते वक्त आपके ज़ेहन में तीन सवाल होने चाहिए;

१; क्या इसे मैं जबरन पढ़ रही/रहा हूँ या इस किताब में वो ताकत है जो‌ मुझे मजबूर कर रही है पढ़ने के लिए?
२; क्या कोई आनंद या रस की अनुभूति हो‌ रही है?
३; क्या इसमें कुछ ऐसा है जो मैंने पहले कहीं पढ़ा नहीं या मेरी कल्पनाओं के भी परे है? ऐसा कुछ जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने जानने को मिल‌ रहा है या कि आनंद भी उस स्तर का मिल रहा है जहाँ मैं इसे फिर‌ फिर‌ पढ़‌ पाऊँ?

इस कृति को‌ लेकर इन‌ सवालों के जवाब सिर्फ और सिर्फ हाँ में हैं।

तो किताब हाथ में आते ही आप सोच सकते हैं कि, “धार्मिक लगती है!” क्योंकि आपने राम नाम जो देख लिया है, लेकिन ऐसा है क्या! चलिए देखते हैं ना कैसा है फिर!

एक ऐसा विषय चुनना जो सीधा सीधा धर्म से संबंधित नहीं बल्कि धर्म ही हैl

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