November 22, 2024

क्या अदा है छुप-छुपाकर देखते हैं,
वो हमें नजरें बचाकर देखते हैं।

किस कदर कातिल अदा अंदाज देखो,
वो मुझे क्यों यूँ लजाकर देखते हैं।

है अँधेरा खूब गहरा तो हुआ क्या,
एक तीली हम जलाकर देखते हैं।

होंठ पर ठहरी हुई सहमी हँसी को,
आज चल कुछ गुदगुदाकर देखते हैं।

नींद में हैं लोग या फिर बेसुधी है,
चल इन्हे कुछ थपथपाकर देखते हैं।

जान से जाना हुआ तय जानता हूँ,
आप भी तो मुस्कुराकर देखते हैं।

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