November 21, 2024

डॉ. विनय पाठक अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष निर्वाचित

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बिलासपुर – अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद बिलासपुर का 21 वां राष्ट्रीय अधिवेशन कोरोना नियमों के परिपालन के अंतर्गत गीता देवी रामचंद्र दिव्यांग अस्पताल, अनुसंधान एवं निःशुल्क सेवा केंद्र में संपन्न हुआ जिसमें छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित देश की सभी शाखाओं से प्रतिनिधिगण ऑनलाइन के माध्यम से जुड़े थे। इस अधिवेशन में परिषद के प्रमुख केंद्रीय व्यक्तित्व डॉ. द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के निधन के बाद आयी रिक्तता को भरने के लिए सर्वसम्मति से डॉ. विनय कुमार पाठक निदेशक – विकलांग विमर्श राष्ट्रीय शोधपीठ को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध निर्वाचित किया गया । उल्लेखनीय है डॉ. पाठक दो दशकों से डॉ. द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के माध्यम से जुड़कर और विकलांगपरक सेवा – साधना में संलग्न रहकर जहाँ परिषद की महत्वपूर्ण स्मारिका निःशक्त चेतना के सात भागों का सम्पादन किया, वहीं “विकलांग – विमर्श”, “लोकोक्तियों में विकलांग विमर्श” और काव्य “दिनमान” का संपादन तथा “विकलांग विमर्श की कहानियां” के साथ “विकलांग विमर्श की कहानियों को इंद्र बहादुर सिंह का प्रदेय” का लेखन करके विकलांग विमर्श पर केंद्रित छः राष्ट्रीय और एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी प्रताप महाविद्यालय अमलनेर महाराष्ट्र में संयोजित करके तथा इस अवसर पर पत्रिकाओं के विशेषांक के साथ भावना प्रकाशन दिल्ली से ,”विकलांग विमर्श का वैश्विक परिदृश्य प्रकाशित करके शताधिक विद्वानों को संजोकर न केवल विकलांग- विमर्श का प्रवर्तन किया, वरन देश के अनेक विश्वविद्यालयों में एतद विषयक शोध के लिए एक वातावरण का निर्माण भी किया डॉ द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय विकलांग- विमर्श शोधपीठ का निदेशक पद स्वीकार किया जिनके तहत देश-विदेश के शोधार्थियों व अध्येताओं को सतत मार्ग दर्शन दिया जाता है। डॉ. पाठक द्वारा लिखित एवं भावना प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित ” विकलांग-विमर्श ; दशा और दिशा” न केवल हिंदी वरन भारतीय और विदेशी भाषाओं में इस तरह की प्रथम कृति प्रमाणित हुई है जिसे विद्वान अध्येताओं ने धरोहर और आचरण -संहिता के रुप में मान्यता दी है। विकलांग – विमर्श के प्रवर्तक के रूप में प्रस्थापित डॉ. पाठक के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन होने पर देश – विदेश से लोगों ने बधाई दी है और आशा व्यक्त की है कि इनके कार्यकाल में अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद डॉ. अग्रवाल के द्वारा छोड़े गए अधूरे कार्यों को पूर्ण करने की दिशा में कारगर प्रमाणित होगी।

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